abhivainjana


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Tuesday, 27 August 2013

हवा ये कैसी चली….


फिर छू गया दर्द कोई

हवा ये कैसी चली

यादों ने ली फिर अंगड़ाई

आँख मेरी भर आई

हवा ये कैसी चली……

सब्र का  हर वो पल मेरा

कतरा-कतरा बन गिरता रहा

होठ हँसते रहे , आँख रोती रही

हवा ये कैसी चली….

हालात के लपटों में

झुलसते रहें अरमान सारे

जज्बात चिथड़े बन उड़े

जिन्दगी सिसकने लगी

हवा ये कैसी चली….

खामोशी ने होठ सी लिए

उदासी कहर बरसाने लगी

बेबस जिन्दगी माँगती रही

मुझसे मुस्काने का वादा

दर्द लिए मैं मुस्काती रही

हवा ये कैसी चली………


****************

महेश्वरी कनेरी

34 comments:

  1. बढ़िया प्रस्तुति-
    आभार आदरणीया

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  2. वाह , अति सुंदर

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  3. चलती हैं ऐसी हवाएं..और भिगो जाती हैं अंतस...
    बहुत सुन्दर....

    सादर
    अनु

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  4. ऐसी हवाओं से बचकर रहना चाहिए..उसकी याद का स्वेटर पहनकर घर से निकलना चाहिए..

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  5. आजकल ऐसा ही दौर चल रहा है, बहुत ही गहन अभिव्यक्ति, शुभकामनाएं.

    रामराम.

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  6. हवाएँ चलती ही रहती हैं,यादें कभी करवटें लेती हैं-कभी अंगड़ाई तो कभी जकड़ लेती हैं शरीर को

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  7. अब हवा का रुख पलटना होगा .... मार्मिक अभिव्यक्ति

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  8. bahut sundar bhavabhivyakti .krishn janam ashtmi kee hardik shubhkamanyen .

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  9. बेबस जिंदगी मांगती रही
    मुझसे मुस्काने का वादा....
    बहुत सुंदर अभिव्यक्ति !!

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  10. हवा जैसी भी चली
    ठहरेगी नहीं
    ठहरने की फितरत जो नहीं
    बस थोड़े समय का इंतजार दीदी
    फिर दूसरी हवा जरूर चलेगी
    सादर प्रणाम
    और
    कृष्ण जन्माष्टमी की हार्दिक शुभकामनायें

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  11. बहुत ही भावपूर्ण रचना...

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  12. जिंदगी का दर्द झलकता है

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  13. बहुत बढ़िया आंटी।

    सादर

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  14. मन के भावो को बहुत सुंदर अभिव्यक्ति,सुंदर रचना,,

    RECENT POST : पाँच( दोहे )

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  15. कृष्ण जन्माष्टमी की हार्दिक शुभकामनायें
    सुंदर !

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  16. आज हवा स्मृति ले आयी..सशक्त अभिव्यक्ति।

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  17. धन्यवाद आप का हर्षवर्धन...

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  18. बहुत मर्मस्पर्शी रचना...श्री कृष्ण जन्माष्टमी की शुभकामनायें!

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  19. मर्मस्पर्शी रचना !!!

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  20. छूती है दिल को ये रचना ...

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  21. बेबस जिन्दगी माँगती रही

    मुझसे मुस्काने का वादा

    दर्द लिए मैं मुस्काती रही...

    अक्सर गुज़ारना पड़ता है इस दुःख से ....सुन्दर रचना

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  22. शब्दों का कमाल का इस्तेमाल किया है..सुंदर प्रस्तुति।।।

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  23. खामोशी ने होठ सी लिए
    उदासी कहर बरसाने लगी
    बेबस जिन्दगी माँगती रही
    मुझसे मुस्काने का वादा
    दर्द लिए मैं मुस्काती रही
    हवा ये कैसी चली………
    बहुत सुन्दर पंक्तियाँ .

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  24. माना के यादें करवटें बदलती ही रहती है लेकिन यह यादें चाहे जैसी भी हो इनके बिना भी जिया नहीं जा सकता क्यूंकि ज़िंदगी का दूसरा नाम ही बदलाव है कभी खुशी कभी ग़म जीना इसी का नाम है :)

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  25. हवा के रुख के अनुसार अपनी नाव में पाल लगाना हैं |सुंदर रचना |
    ********नई पोस्ट-
    “जिम्मेदारियाँ..................... हैं ! तेरी मेहरबानियाँ....."

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  26. आपकी यह सुन्दर रचना दिनांक 04.09.2013 को http://nirjhar-times.blogspot.in/ पर लिंक की गयी है। कृपया इसे देखें और अपने सुझाव दें।

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  27. आपकी यह सुन्दर रचना दिनांक 06.09.2013 को http://blogprasaran.blogspot.in/ पर लिंक की गयी है। कृपया इसे देखें और अपने सुझाव दें।

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  28. बहुत सुन्दर प्रस्तुति। ।

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  29. बहुत सुन्दर कविता ,हवा फिर बदलेगी
    Latest post हे निराकार!
    latest post कानून और दंड

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