पग-पग पर फैले भ्रष्टाचार
से
खोखले वादे और अत्याचार से
प्रजातांत्रिक तानाशाही की मार से
परेशान आज हर इंसान है
मुद्दों पर गरमाती यहाँ राजनितियाँ
नोट से वोट का यहाँ व्यापार है
भ्रष्ट, मक्कार, स्वार्थी नेता
बने देश के सूत्रधार हैं
पेट के खातिर
बेचती जिस्म यहाँ
घर की बेटियाँ
भूखे पेट की आग में
सिकतीं यहाँ रोटियाँ
अखण्ड़ भारत का सपना
खण्ड़-खण्ड़ हो गया
कहाँ खो गया, वो स्वर्णिम भारत
कण-कण देश का पूछ रहा
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महेश्वरी कनेरी
हम लायेंगे वापस वो स्वर्णिम काल...
ReplyDeleteयही संकल्प लेने को प्रेरित करती है कविता!
वह सपना शायद सपना बनकर ही रह गया सार्थक भाव लिए सशक्त अभिव्यक्ति।
ReplyDeleteवह स्वप्न अवश्य सच होगा...मार्मिक रचना !
ReplyDeleteसत्य से रु ब रु करती सुंदर अभिव्यक्ति ।
ReplyDeleteमार्मिक रचना
ReplyDeleteसुंदर अभिव्यक्ति
सुंदर रचना।।।
ReplyDeleteRachana hr desh bhakt ki aatma ko jhakjhorne me poori tarah sakshm hai .....bilkul aj ke bharat ka sachchha bimb dikha diya hai ap na ,,,,,,,sachchai to ye hai ki Gore angrej gaye aur ab Kale angrej aa gaye ...hm tb bhi gulam the aur aaj bhi bhrstachari netaon ke ke gulam hain ......jane kab swatantr hoga yah desh ? bahut bahut aabhar apka .
ReplyDeleteसटीक !
ReplyDelete♥ वंदे मातरम् ! ♥
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भ्रष्ट, मक्कार, स्वार्थी नेता
बने देश के सूत्रधार हैं
इन्हें उखाड़ फैंकना हमारा ही दायित्व है...
आदरणीया महेश्वरी कनेरी जी
अच्छी सामयिक रचना के लिए आभार !
बधाई !
...शुभकामनाओं सहित
-राजेन्द्र स्वर्णकार
स्वर्णिम भारत का सपना पूरा होगा
ReplyDeleteवक़्त आ गया है परिवर्तन का ….सुन्दर अभिव्यक्ति
अखण्ड़ भारत का सपना
ReplyDeleteखण्ड़-खण्ड़ हो गया
कहाँ खो गया,वो स्वर्णिम भारत
कण-कण देश का पूछ रहा,,,
सुंदर सामयिक रचना के लिए आभार !और बधाई !
स्वतंत्रता दिवस की हार्दिक शुभकामनाए,,,
RECENT POST: आज़ादी की वर्षगांठ.
बहुत बढ़िया समसामयिक अभिव्यक्ति!!
ReplyDeleteनोट से वोट का यहाँ व्यापार है
ReplyDeleteभ्रष्ट, मक्कार, स्वार्थी नेता
बने देश के सूत्रधार हैं.
वास्तविकता को उजागर करती सुन्दर रचना
latest os मैं हूँ भारतवासी।
latest post नेता उवाच !!!
सपना पूरा होने का वक्त आ गया है ......इस बार चूकना नही !
ReplyDeleteशुभकामनायें!
कल 18/08/2013 को आपकी पोस्ट का लिंक होगा http://nayi-purani-halchal.blogspot.in पर
ReplyDeleteधन्यवाद!
धन्यवाद..यशवन्त..
Deleteकहाँ खो गया,वो स्वर्णिम भारत
ReplyDeleteकण-कण देश का पूछ रहा
sundar rachna ....maheshwari ji
ये सपना एक दिन जरुर पूरा होगा ..गर हम सब चाह ले ....
ReplyDeleteहमारी चाहत जब अंग्रेजो से मुक्ति दिला सकती है तो फिर ...ये तो कुछ भी नही ...जय हिन्द
सब बढ़ जायें, एक दिशा में..
ReplyDeleteसार्थक और सटीक
ReplyDeleteबहुत सुंदर...... अपने देश का मान सदा बना रहे ....
ReplyDeleteआभार आप का..
ReplyDeleteखोया भारत हमें ही वापिस लाना है ।
ReplyDeleteबहुत सुन्दर और सटीक अभिव्यक्ति...
ReplyDeleteसुन्दर कविता..
ReplyDeleteमार्मिक रचना ..
ReplyDeleteआभार आपका !
सुन्दर अभिव्यक्ति
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