क्यों बुझा- बुझा सा है,फिर कोई आग बुन
छेड़ कर सुरों के तार ,फिर कोई राग
चुन
गहन अँधेरी रात में.भोर की आवाज़
सुन
जाग नींद से जरा,फिर कोई ख्वाब
बुन
मन में विश्वास भर, तू चल अपनी
ही धुन
भटक गया राह तो ,फिर नई एक राह चुन
मन की हार, हार है,हार में भी जीत ढ़ूँढ़
हौंसला बुलंद कर ,फिर कोई आकाश
चुन
रुकता नहीं वक्त कभी,वक्त की पुकार सुन
भूल जा कल की बात ,फिर कोई आज बुन
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महेश्वरी कनेरी
हौंसला बुलंद कर ,फिर कोई आकाश चुन
ReplyDeleteवाह...
बहुत सुन्दर!!!
सादर
अनु
आपके ब्लॉग को ब्लॉग एग्रीगेटर "ब्लॉग - चिठ्ठा" में शामिल किया गया है। सादर …. आभार।।
ReplyDeleteabhaar..
Deleteबहुत सुंदर रचना
ReplyDeleteबहुत सुंदर
प्रेरक!
ReplyDeleteरुकता नहीं वक्त कभी,वक्त की पुकार सुन
ReplyDeleteभूल जा कल की बात ,फिर कोई आज बुन
बहुत ही सार्थक और सशक्त गजल, शुभकामनाएं.
रामराम.
रुकता नहीं वक्त कभी,वक्त की पुकार सुन
ReplyDeleteभूल जा कल की बात ,फिर कोई आज बुन
बहुत सुन्दर रचना...
:-)
हौंसला बुलंद कर फिर कोई आकाश चुन
ReplyDeleteबहुत सुंदर रचना!!
आशा का संचार करती बहुत ही सुन्दर पोस्ट |
ReplyDeleteबहुत ही सुन्दर पोस्ट |
ReplyDeleteआपने लिखा....
ReplyDeleteहमने पढ़ा....और लोग भी पढ़ें;
इसलिए बुधवार 07/08/2013 को http://nayi-purani-halchal.blogspot.in ....पर लिंक की जाएगी.
आप भी देख लीजिएगा एक नज़र ....
लिंक में आपका स्वागत है .
धन्यवाद!
abhaar..
Deleteमन की हार, हार है,हार में भी जीत ढ़ूँढ़
ReplyDeleteहौंसला बुलंद कर ,फिर कोई आकाश चुन
सकारात्मक भाव लिए अच्छी रचना है.
कुछ न कुछ नया करने का ुत्साह सदा बना रहे जीवन में..सुन्दर रचना।
ReplyDeleteप्रेरणाप्रद भाव
ReplyDeleteबहुत सुंदर ...
This comment has been removed by the author.
ReplyDeleteप्रभावोत्पादक रचना !
ReplyDeleteभूल जा जो हुआ नई मंजिलें हैं सामने !
ReplyDeleteप्रेरक रचना !
जब हार हमारे जीवन में
ReplyDeleteबने हार हमारे जीवन का
तब हारकर भी हम जीते हैं
नाम उसी का जीवन है
--- श्री श्याम नंदन प्रसाद
बहुत ही सुन्दर प्रेरणापद रचना
सादर !
मन की हार, हार है,हार में भी जीत ढ़ूँढ़
ReplyDeleteहौंसला बुलंद कर ,फिर कोई आकाश चुन
बहुत सुंदर पंक्तियाँ...जोश दिलाती सुंदर रचना !
bahut hi prerak rachna................sundar
ReplyDeleteरुकता नहीं वक्त कभी,वक्त की पुकार सुन
ReplyDeleteभूल जा कल की बात ,फिर कोई आज बुन
प्रेरक पंक्तियां ...
विश्वास के रास्ते पर हौसले से रख दो जब भी कदम,
डगमगा भले ही जायें पर वापस मुड़ते नहीं ये कदम ।
जीने के आयाम बना
ReplyDeleteशब्द शब्द हौसलों को बुलंद बना …
बहुत सुन्दर प्रेरक रचना
ReplyDeleteनए को बुनने का ख्वाब .... आगत का स्वागत करती रचना ।
ReplyDeleteबहुत सुंदर ।
हौंसला बुलंद कर ,फिर कोई आकाश चुन
ReplyDeleteवाह...
बहुत सुन्दर.....!!!
Optimsism से भरपूर रचना ...बहुत सुन्दर
ReplyDeleteयह हुई न बात ...
ReplyDelete:)
जिन्दगी का सफ़र... आसान बनाती ,दिखाती लक्ष्य पर पहुँचने की राहें ....
ReplyDeleteखुबसूरत!
अच्छा संदेश देती कविता
ReplyDeleteसादर
रुकता नहीं वक्त कभी,वक्त की पुकार सुन
ReplyDeleteभूल जा कल की बात ,फिर कोई आज बुन
....वाह! बहुत सुन्दर प्रेरक प्रस्तुति...
बहुत सुन्दर
ReplyDeleteअहा! अति सुन्दर कृति..
ReplyDeleteati sundar..
ReplyDeleteEid Mubarak..... ईद मुबारक...عید مبارک....
आभार..
ReplyDeleteक्यों बुझा- बुझा सा है,फिर कोई आग बुन
ReplyDeleteसलाम इस ज़ज़्बे को ! अति सुंदर अभिव्यक्ति के लिए बधाई आपको !
क्यों बुझा- बुझा सा है,फिर कोई आग बुन
ReplyDeleteछेड़ कर सुरों के तार ,फिर कोई राग चुन
बहुत उर्जात्मक कविता ..
मन को आनंद और विशवास से भरती अप्रतिम पोस्ट :
ReplyDeleteमन में विश्वास भर, तू चल अपनी ही धुन
भटक गया राह तो ,फिर नई एक राह चुन
आदरणीया महेश्वरी कनेरी जी सादर नमस्कार,
ReplyDeleteपढ़ने वाले के मन में पोजिटिव एनर्जी का संचार कर आत्म विश्वास और आगे बढ़ने का हौंसला प्रदान करती इस रचना के लिए आपको बहुत बहुत बधाई !
A very encouraging piece:)
ReplyDeleteLoved all your compositions that I have yet read. Will be a regular visitor now and looking forward to read more from you and also your previous compositions :)!!