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Monday, 5 August 2013

फिर कोई आग बुन


क्यों बुझा- बुझा सा है,फिर कोई आग बुन

छेड़ कर सुरों के तार ,फिर कोई राग चुन


गहन अँधेरी रात में.भोर की आवाज़ सुन

जाग नींद से जरा,फिर कोई ख्वाब बुन


मन में विश्वास भर, तू चल अपनी ही धुन

भटक गया राह तो ,फिर नई एक राह चुन



मन की हार, हार है,हार में भी जीत ढ़ूँढ़

हौंसला बुलंद कर ,फिर कोई आकाश चुन


रुकता नहीं वक्त कभी,वक्त की पुकार सुन

भूल जा कल की बात ,फिर कोई आज बुन

*******

महेश्वरी कनेरी


40 comments:

  1. हौंसला बुलंद कर ,फिर कोई आकाश चुन
    वाह...
    बहुत सुन्दर!!!

    सादर
    अनु

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  2. आपके ब्लॉग को ब्लॉग एग्रीगेटर "ब्लॉग - चिठ्ठा" में शामिल किया गया है। सादर …. आभार।।

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  3. बहुत सुंदर रचना
    बहुत सुंदर

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  4. रुकता नहीं वक्त कभी,वक्त की पुकार सुन

    भूल जा कल की बात ,फिर कोई आज बुन

    बहुत ही सार्थक और सशक्त गजल, शुभकामनाएं.

    रामराम.

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  5. रुकता नहीं वक्त कभी,वक्त की पुकार सुन
    भूल जा कल की बात ,फिर कोई आज बुन
    बहुत सुन्दर रचना...
    :-)

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  6. हौंसला बुलंद कर फिर कोई आकाश चुन
    बहुत सुंदर रचना!!

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  7. आशा का संचार करती बहुत ही सुन्दर पोस्ट |

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  8. आपने लिखा....
    हमने पढ़ा....और लोग भी पढ़ें;
    इसलिए बुधवार 07/08/2013 को http://nayi-purani-halchal.blogspot.in ....पर लिंक की जाएगी.
    आप भी देख लीजिएगा एक नज़र ....
    लिंक में आपका स्वागत है .
    धन्यवाद!

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  9. मन की हार, हार है,हार में भी जीत ढ़ूँढ़

    हौंसला बुलंद कर ,फिर कोई आकाश चुन

    सकारात्मक भाव लिए अच्छी रचना है.

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  10. कुछ न कुछ नया करने का ुत्साह सदा बना रहे जीवन में..सुन्दर रचना।

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  11. प्रेरणाप्रद भाव
    बहुत सुंदर ...

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  12. This comment has been removed by the author.

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  13. प्रभावोत्पादक रचना !

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  14. भूल जा जो हुआ नई मंजिलें हैं सामने !
    प्रेरक रचना !

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  15. जब हार हमारे जीवन में
    बने हार हमारे जीवन का
    तब हारकर भी हम जीते हैं
    नाम उसी का जीवन है
    --- श्री श्याम नंदन प्रसाद

    बहुत ही सुन्दर प्रेरणापद रचना
    सादर !

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  16. मन की हार, हार है,हार में भी जीत ढ़ूँढ़

    हौंसला बुलंद कर ,फिर कोई आकाश चुन

    बहुत सुंदर पंक्तियाँ...जोश दिलाती सुंदर रचना !

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  17. bahut hi prerak rachna................sundar

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  18. रुकता नहीं वक्त कभी,वक्त की पुकार सुन
    भूल जा कल की बात ,फिर कोई आज बुन
    प्रेरक पंक्तियां ...
    विश्‍वास के रास्‍ते पर हौसले से रख दो जब भी कदम,
    डगमगा भले ही जायें पर वापस मुड़ते नहीं ये कदम ।

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  19. जीने के आयाम बना
    शब्द शब्द हौसलों को बुलंद बना …

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  20. बहुत सुन्दर प्रेरक रचना

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  21. नए को बुनने का ख्वाब .... आगत का स्वागत करती रचना ।

    बहुत सुंदर ।

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  22. हौंसला बुलंद कर ,फिर कोई आकाश चुन
    वाह...
    बहुत सुन्दर.....!!!

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  23. Optimsism से भरपूर रचना ...बहुत सुन्दर

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  24. यह हुई न बात ...
    :)

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  25. जिन्दगी का सफ़र... आसान बनाती ,दिखाती लक्ष्य पर पहुँचने की राहें ....
    खुबसूरत!

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  26. अच्छा संदेश देती कविता



    सादर

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  27. रुकता नहीं वक्त कभी,वक्त की पुकार सुन

    भूल जा कल की बात ,फिर कोई आज बुन

    ....वाह! बहुत सुन्दर प्रेरक प्रस्तुति...

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  28. बहुत सुन्दर

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  29. अहा! अति सुन्दर कृति..

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  30. ati sundar..
    Eid Mubarak..... ईद मुबारक...عید مبارک....

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  31. क्यों बुझा- बुझा सा है,फिर कोई आग बुन

    सलाम इस ज़ज़्बे को ! अति सुंदर अभिव्यक्‍ति के लिए बधाई आपको !

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  32. क्यों बुझा- बुझा सा है,फिर कोई आग बुन

    छेड़ कर सुरों के तार ,फिर कोई राग चुन
    बहुत उर्जात्मक कविता ..

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  33. मन को आनंद और विशवास से भरती अप्रतिम पोस्ट :


    मन में विश्वास भर, तू चल अपनी ही धुन

    भटक गया राह तो ,फिर नई एक राह चुन

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  34. आदरणीया महेश्वरी कनेरी जी सादर नमस्कार,
    पढ़ने वाले के मन में पोजिटिव एनर्जी का संचार कर आत्म विश्वास और आगे बढ़ने का हौंसला प्रदान करती इस रचना के लिए आपको बहुत बहुत बधाई !

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  35. A very encouraging piece:)

    Loved all your compositions that I have yet read. Will be a regular visitor now and looking forward to read more from you and also your previous compositions :)!!

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