abhivainjana


Click here for Myspace Layouts

Followers

Tuesday 22 January 2013

ये दिन

ये दिन



रोज 
सुनहरी किरणों के संग आता है दिन

ढलते सूरज के संग गुजर जाता है दिन

रोज नई तारीखों को ले लाता है दिन

मुट्ठी में रेत सा फिसल जाता है दिन

आँखों में कल के सपने सजाता है दिन

वर्तमान में अतीत के पन्ने पलटता है दिन

मुश्किल घड़ियों में थम जाता है दिन

व्यस्थता में पंक्षी सा उड़ जाता है दिन

पल-पल नया इतिहास रच जाता है दिन

कर्मठ जनों का संकल्प बन जाता है दिन

 *************

महेश्वरी कनेरी

33 comments:

  1. एक दिन के बीत जाने के बाद ....अगले दिन के इंतज़ार में

    बेहद खूबसूरत प्रस्तुति

    ReplyDelete
  2. एक दिन बिक जायेगा माट्टी के मोल जग में रह जाएँगे प्यारे तेरे बोल....

    ReplyDelete
  3. बहुत सुन्दर रचना।।हर दिन सुन्दर और शांतिभरा हो।
    शुभकामनाएँ ....
    :-)

    ReplyDelete
  4. पल-पल नया इतिहास रच जाता है दिन

    कर्मठ जनों का संकल्प बन जाता है दिन

    वाह दीदी :) बहुत खूब !!

    ReplyDelete
  5. बढ़िया है दीदी |
    आभार-

    ReplyDelete
  6. बहुत सुंदर रचना
    बहुत बढिया

    ReplyDelete
  7. वर्तमान में अतीत के पन्ने पलटता है दिन'
    कर्मठ जनों का संकल्प बन जाता है दिन '

    बहुत सही कहा..ऐसे अहसास भी आते हैं मन में जिन्हें आप ने खूबसूरत अभिव्यक्ति दी है.

    ReplyDelete
  8. "मुठ्ठी भर रेत सा फिसल जाता है दिन "
    बहुत सुन्दर रचना और यहाँ पंक्ति

    ReplyDelete
  9. यादों को धरोहर दे जाता है दिन.......कभी कभी कुछ अमर कर जाता है दिन.......सुन्दर पंक्तियाँ रच जाता है दिन ....साभार !

    ReplyDelete
  10. मुश्किल घड़ियों में थम जाता है दिन

    व्यस्थता में पंक्षी सा उड़ जाता है दिन


    bahut sundar rachana ke sadar badhai sweekaren ..

    ReplyDelete
  11. यूँ ही दिन के साथ महीने और साल और फिर जीवन बीत जाता है....
    सुन्दर रचना दी.

    सादर
    अनु

    ReplyDelete
  12. हर किसी के लिए एक अलग अनुभव और एक अलग जिंदगी ले कर आता है दिन...सुन्दर पोस्ट।

    ReplyDelete
  13. सही कहा है आपने यही एक दिन भूत, वर्तमान, भविष्य का रचियता है... सुन्दर रचना... आभार

    ReplyDelete
  14. हर दिन एक नई शुरुआत...सुंदर रचना !

    ReplyDelete
  15. बिल्कुल सच कहा है..हर दिन एक नया रूप लेकर आता है..

    ReplyDelete
  16. हर दिन जीवन का अंग बना,
    आधार बना, रस रंग बना,
    रात बिसारी, पुनः कार्य में,
    लगता, प्रबल प्रंसग बना।

    ReplyDelete
  17. हर दिन नया सवेरा लाता है ... सुंदर प्रस्तुति

    ReplyDelete
  18. मुश्किल घड़ियों में थम जाता है दिन

    व्यस्थता में पंक्षी सा उड़ जाता है दिन

    पल-पल नया इतिहास रच जाता है दिन

    कर्मठ जनों का संकल्प बन जाता है दिन

    अद्भुत निःशब्द करती भावनाए

    एक एक पल का लेखा जोखा बतलाता दिन

    ReplyDelete
  19. खूबसूरत भाव बेहतरीन अभिव्यक्ति,,,,,

    recent post: गुलामी का असर,,,

    ReplyDelete
  20. वर्तमान में अतीत के पन्ने पलटता है दिन'
    कर्मठ जनों का संकल्प बन जाता है दिन '
    sunder likha hai bahut hi sunder
    rachana

    ReplyDelete
  21. मुट्ठी में रेत सा फिसल जाता है दिन
    कर्मठ जनों का संकल्प बन जाता है दिन
    बस इसी कर्मठता का संकल्प जगा रहे .. सुन्दर रचना .. बहुत ही सीख देती हुई।
    सादर
    मधुरेश

    ReplyDelete
  22. हर दिन रचता नया इतिहास!

    ReplyDelete
  23. उम्दा प्रस्तुति के लिए बहुत बहुत बधाई...६४वें गणतंत्र दिवस पर शुभकामनाएं...

    ReplyDelete
  24. हर दिन ले कर आती है एक नयी उम्मीद संग अपने
    सुन्दर रचना
    सादर !

    ReplyDelete
  25. अति सुन्दर ,भावपूर्ण रचना ...

    ReplyDelete
  26. बहुत सुन्दर!
    सादर!
    http://voice-brijesh.blogspot.com

    ReplyDelete
  27. बहुत ही सुन्दर कविता |आभार

    ReplyDelete
  28. बहुत खूब...!

    दिन पर मैंने कुछ यूं लिखा था-

    रात-रात भर गायब रहता,
    जाने कहां कुंवारा दिन।

    ReplyDelete
  29. होली मुबारक

    अभी 'प्रहलाद' नहीं हुआ है अर्थात प्रजा का आह्लाद नहीं हुआ है.आह्लाद -खुशी -प्रसन्नता जनता को नसीब नहीं है.करों के भार से ,अपहरण -बलात्कार से,चोरी-डकैती ,लूट-मार से,जनता त्राही-त्राही कर रही है.आज फिर आवश्यकता है -'वराह अवतार' की .वराह=वर+अह =वर यानि अच्छा और अह यानी दिन .इस प्रकार वराह अवतार का मतलब है अच्छा दिन -समय आना.जब जनता जागरूक हो जाती है तो अच्छा समय (दिन) आता है और तभी 'प्रहलाद' का जन्म होता है अर्थात प्रजा का आह्लाद होता है =प्रजा की खुशी होती है.ऐसा होने पर ही हिरण्याक्ष तथा हिरण्य कश्यप का अंत हो जाता है अर्थात शोषण और उत्पीडन समाप्त हो जाता है.

    ReplyDelete
  30. The refrain " din" is wonderfully expressed and gives so much meaning to the poem.

    ReplyDelete