ये दिन |
रोज सुनहरी किरणों के संग आता है दिन
ढलते सूरज के संग गुजर जाता है दिन
रोज नई तारीखों को ले लाता है दिन
मुट्ठी में रेत सा फिसल जाता है दिन
आँखों में कल के सपने सजाता है दिन
वर्तमान में अतीत के पन्ने पलटता है दिन
मुश्किल घड़ियों में थम जाता है दिन
व्यस्थता में पंक्षी सा उड़ जाता है
दिन
पल-पल नया इतिहास रच जाता है दिन
कर्मठ जनों का संकल्प बन जाता है दिन
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महेश्वरी कनेरी
एक दिन के बीत जाने के बाद ....अगले दिन के इंतज़ार में
ReplyDeleteबेहद खूबसूरत प्रस्तुति
एक दिन बिक जायेगा माट्टी के मोल जग में रह जाएँगे प्यारे तेरे बोल....
ReplyDeleteबहुत सुन्दर रचना।।हर दिन सुन्दर और शांतिभरा हो।
ReplyDeleteशुभकामनाएँ ....
:-)
पल-पल नया इतिहास रच जाता है दिन
ReplyDeleteकर्मठ जनों का संकल्प बन जाता है दिन
वाह दीदी :) बहुत खूब !!
बढ़िया है दीदी |
ReplyDeleteआभार-
बहुत सुंदर रचना
ReplyDeleteबहुत बढिया
वर्तमान में अतीत के पन्ने पलटता है दिन'
ReplyDeleteकर्मठ जनों का संकल्प बन जाता है दिन '
बहुत सही कहा..ऐसे अहसास भी आते हैं मन में जिन्हें आप ने खूबसूरत अभिव्यक्ति दी है.
"मुठ्ठी भर रेत सा फिसल जाता है दिन "
ReplyDeleteबहुत सुन्दर रचना और यहाँ पंक्ति
बहुत सुन्दर प्रस्तुति!
ReplyDeleteयादों को धरोहर दे जाता है दिन.......कभी कभी कुछ अमर कर जाता है दिन.......सुन्दर पंक्तियाँ रच जाता है दिन ....साभार !
ReplyDeletebahut sundar abhiwykti hai ......
ReplyDeleteमुश्किल घड़ियों में थम जाता है दिन
ReplyDeleteव्यस्थता में पंक्षी सा उड़ जाता है दिन
bahut sundar rachana ke sadar badhai sweekaren ..
यूँ ही दिन के साथ महीने और साल और फिर जीवन बीत जाता है....
ReplyDeleteसुन्दर रचना दी.
सादर
अनु
हर किसी के लिए एक अलग अनुभव और एक अलग जिंदगी ले कर आता है दिन...सुन्दर पोस्ट।
ReplyDeleteसही कहा है आपने यही एक दिन भूत, वर्तमान, भविष्य का रचियता है... सुन्दर रचना... आभार
ReplyDeleteहर दिन एक नई शुरुआत...सुंदर रचना !
ReplyDeleteबिल्कुल सच कहा है..हर दिन एक नया रूप लेकर आता है..
ReplyDeleteहर दिन जीवन का अंग बना,
ReplyDeleteआधार बना, रस रंग बना,
रात बिसारी, पुनः कार्य में,
लगता, प्रबल प्रंसग बना।
हर दिन नया सवेरा लाता है ... सुंदर प्रस्तुति
ReplyDeleteमुश्किल घड़ियों में थम जाता है दिन
ReplyDeleteव्यस्थता में पंक्षी सा उड़ जाता है दिन
पल-पल नया इतिहास रच जाता है दिन
कर्मठ जनों का संकल्प बन जाता है दिन
अद्भुत निःशब्द करती भावनाए
एक एक पल का लेखा जोखा बतलाता दिन
खूबसूरत भाव बेहतरीन अभिव्यक्ति,,,,,
ReplyDeleterecent post: गुलामी का असर,,,
वर्तमान में अतीत के पन्ने पलटता है दिन'
ReplyDeleteकर्मठ जनों का संकल्प बन जाता है दिन '
sunder likha hai bahut hi sunder
rachana
मुट्ठी में रेत सा फिसल जाता है दिन
ReplyDeleteकर्मठ जनों का संकल्प बन जाता है दिन
बस इसी कर्मठता का संकल्प जगा रहे .. सुन्दर रचना .. बहुत ही सीख देती हुई।
सादर
मधुरेश
हर दिन रचता नया इतिहास!
ReplyDeletevery nice creation.
ReplyDeleteउम्दा प्रस्तुति के लिए बहुत बहुत बधाई...६४वें गणतंत्र दिवस पर शुभकामनाएं...
ReplyDeleteहर दिन ले कर आती है एक नयी उम्मीद संग अपने
ReplyDeleteसुन्दर रचना
सादर !
अति सुन्दर ,भावपूर्ण रचना ...
ReplyDeleteबहुत सुन्दर!
ReplyDeleteसादर!
http://voice-brijesh.blogspot.com
बहुत ही सुन्दर कविता |आभार
ReplyDeleteबहुत खूब...!
ReplyDeleteदिन पर मैंने कुछ यूं लिखा था-
रात-रात भर गायब रहता,
जाने कहां कुंवारा दिन।
होली मुबारक
ReplyDeleteअभी 'प्रहलाद' नहीं हुआ है अर्थात प्रजा का आह्लाद नहीं हुआ है.आह्लाद -खुशी -प्रसन्नता जनता को नसीब नहीं है.करों के भार से ,अपहरण -बलात्कार से,चोरी-डकैती ,लूट-मार से,जनता त्राही-त्राही कर रही है.आज फिर आवश्यकता है -'वराह अवतार' की .वराह=वर+अह =वर यानि अच्छा और अह यानी दिन .इस प्रकार वराह अवतार का मतलब है अच्छा दिन -समय आना.जब जनता जागरूक हो जाती है तो अच्छा समय (दिन) आता है और तभी 'प्रहलाद' का जन्म होता है अर्थात प्रजा का आह्लाद होता है =प्रजा की खुशी होती है.ऐसा होने पर ही हिरण्याक्ष तथा हिरण्य कश्यप का अंत हो जाता है अर्थात शोषण और उत्पीडन समाप्त हो जाता है.
The refrain " din" is wonderfully expressed and gives so much meaning to the poem.
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