इस तरह, घुटनो में सर छुपाकर
आँखो से आँसू बहा कर
क्या होगा..?
उठो ! बदल डालो अपनी इस छबि को
बन कर दुर्गा काली
संघर्ष का तुम बिगुल बजादो
उठा लो, हाथों में हौसलों का तलवार
और करो दुराचारियों का संहार
फिर कभी कोई दुष्कर्म का साहस न कर
सके
कर दो नष्ट इस रक्त बीज को
फिर कभी कोई दुर्भाव न पनप सके
तुम एक शक्ति हो,खुद को पहचानो
ज्वाला बनकर दमको
भीतर एक आग जगाओ
पड़ने वाले हर कुदृष्टि को
भस्म कर डालो
कोई कृष्ण नहीं आयेगे
खुद को खुद ही बचाना होगा
लेकर हाथों में मशाल
कर लो खुद से एक वादा
बदल डालो इस भ्रष्ट समाज को
जिससे हर स्त्री,निर्भयता से
कही भी आजा सकें
फिर कभी किसी बेटी की
अस्मिता न लूटे
किसी का घर न टूटे
फिर कभी कोई ऐसा
दर्द भरा हादसा न उभरे
******************
दिसम्बर में हुए एक शर्मनाक घटना से
दुखी मन अभी तक नही उभर नहीं सका है..सरकार का कब तक मुँह देखे ..आज भी हर रोज ऐसे
हादसे जगह-जगह पर बेखौफ होरहे है ..अब हमें मिल कर खुद ही कुछ करना होगा..
महेश्वरी कनेरी
नोट:… कृपया मेरे नए ब्लांग http://balmankirahe.blogspot.in/ मे भी पधारे ..
बच्चों के लिए कुछ बाल गीत ..सुने.. आभार
कोई कृष्ण नहीं आयेगे
ReplyDeleteखुद को खुद ही बचाना होगा
लेकर हाथों में मशाल
बिलकुल सही दीदी !!
satik aahvan
ReplyDeleteबहुत सटीक प्रस्तुति...आज खुद को ही दुर्गा बनना होगा..
ReplyDeleteडॉ. मोनिका शर्मा has left a new comment on post "ज्वाला बनकर दमको":
ReplyDeleteसार्थक आव्हान ..... स्वयं ही लड़ना ही होगा
सार्थक अभिव्यक्ति
ReplyDeleteसाँस भर गहरी उठो,
ReplyDeleteकर्म अपने फिर गढ़ो।
नारी शक्ति को जगाती सार्थक रचना ....
ReplyDeleteसादर !
बेहद उम्दा ... सादर !
ReplyDeleteचल मरदाने,सीना ताने - ब्लॉग बुलेटिन आज की ब्लॉग बुलेटिन मे आपकी पोस्ट को भी शामिल किया गया है ... सादर आभार !
कोई कृष्ण नहीं आयेगे
ReplyDeleteखुद को खुद ही बचाना होगा सार्थक संदेश मयी सशक्त भावभिव्यक्ति....
सार्थक आह्वान .... अभी तक संघर्ष किया है अब संहार करना है ।
ReplyDeleteसार्थक आह्वान हर माँ बहन बेटी के लिए और समाज को चेतावनी देती पोस्ट बधाई
ReplyDeleteispasht aur satik-***
ReplyDeleteगहन भाव लिये सशक्त लेखन ...
ReplyDeleteआभार
कविता मे बहुत अच्छा आह्वान किया है आंटी!
ReplyDeleteसादर
जरूरी तो नही कि सफलता पहली बार में ही मिले हर बार हरेक को करना होगा संघर्ष, विचार बदलने होंगे, सबक सिखाना होगा हर स्तर पर घर पर, स्कूल और कॉलेजेस में,, समाज में दफ्तरों में, अदोलतों में ।
ReplyDeleteनारी शक्ति को जागृत करो ... उठो की कोई नहीं आता दूसरों के दुःख में ... अपनी ढाल खुद बनो ... दुर्गा काली बनो ...
ReplyDeleteलाजवाब रचना ...
नारी शक्ति को आह्वान करती बहुत सुंदर उम्दा प्रस्तुति,,,
ReplyDeleterecent post: मातृभूमि,
ज्वाला बनकर दमको
ReplyDeleteभीतर एक आग जगाओ
पड़ने वाले हर कुदृष्टि को
भस्म कर डालो...
लाजवाब रचना ...
काली-कलुषित नजर से, रहे सुरक्षित नारि |
ReplyDeleteबने सुरक्षित तंत्र अब, धरे ध्यान परिवारि |
धरे ध्यान परिवारि, विसारो पिछली बातें |
दुर्घटना से सीख, परख ले रिश्ते नाते |
ले उत्तर जह खोज, बनी हर नारि सवाली |
अगर करोगे देर, बनेगी ज्वाला काली ||
ओजपूर्ण और सटीक अभिव्यक्ति
ReplyDeleteये हौसले बनाए रखिये ये निजाम अब बदलने को है चिंगारी सुलगती रहे तेवर बने रहें इस मरगिल्ली सरकार के खिलाफ .आभार आपकी सद्य टिपण्णी का .
ReplyDeleteजलकर भस्म होने से पूर्व जला डालो
ReplyDeleteशत प्रतिशत सहमत.......'काली' का का भी एक रूप है नारी का।
ReplyDeleteबहुत सशक्त रचना.....
ReplyDeleteआस और हिम्मत जगाती....
सादर
अनु
बहुत ही त्रासद समय में एक मार्मिक कविता |
ReplyDeleteअंतर्निहित नारी शक्ति को जगाने के लिए सटीक आह्वान !
ReplyDeleteNew post कुछ पता नहीं !!! (द्वितीय भाग )
New post: कुछ पता नहीं !!!
nayee umeed jagati ek shashakt rachna..
ReplyDeleteकोई कृष्ण नहीं आयेगे
ReplyDeleteखुद को खुद ही बचाना होगा
और नहीं बस। अब स्वसक्षम होना ही होगा। सार्थक सन्देश।
सादर
मधुरेश
antarman ko jhakjhor deni vaali kavita.
ReplyDelete