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Tuesday 15 January 2013

ज्वाला बनकर दमको




इस तरह, घुटनो में सर छुपाकर

आँखो से आँसू बहा कर

क्या होगा..?

उठो ! बदल डालो अपनी इस छबि को

बन कर दुर्गा काली

संघर्ष का तुम बिगुल बजादो

उठा लो, हाथों में हौसलों का तलवार

और करो दुराचारियों का संहार

फिर कभी कोई दुष्कर्म का साहस न कर सके

कर दो नष्ट इस रक्त बीज को

फिर कभी कोई दुर्भाव न पनप सके

तुम एक शक्ति हो,खुद को पहचानो

ज्वाला बनकर दमको

भीतर एक आग जगाओ

पड़ने वाले हर कुदृष्टि को

भस्म कर डालो

कोई कृष्ण नहीं आयेगे

खुद को खुद ही बचाना होगा

लेकर हाथों में मशाल

कर लो खुद से एक वादा

बदल डालो इस भ्रष्ट समाज को

जिससे हर स्त्री,निर्भयता से

कही भी आजा सकें

फिर कभी किसी बेटी की

अस्मिता न लूटे

किसी का घर न टूटे

फिर कभी कोई ऐसा

    दर्द भरा हादसा न उभरे

******************


दिसम्बर में हुए एक शर्मनाक घटना से दुखी मन अभी तक नही उभर नहीं सका है..सरकार का कब तक मुँह देखे ..आज भी हर रोज ऐसे हादसे जगह-जगह पर बेखौफ होरहे है ..अब हमें मिल कर खुद ही कुछ करना होगा.. 

                               महेश्वरी कनेरी

नोट:… कृपया मेरे नए ब्लांग  http://balmankirahe.blogspot.in/  मे भी पधारे ..

 बच्चों के लिए कुछ बाल गीत ..सुने.. आभार

29 comments:

  1. कोई कृष्ण नहीं आयेगे
    खुद को खुद ही बचाना होगा
    लेकर हाथों में मशाल

    बिलकुल सही दीदी !!

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  2. बहुत सटीक प्रस्तुति...आज खुद को ही दुर्गा बनना होगा..

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  3. डॉ. मोनिका शर्मा has left a new comment on post "ज्वाला बनकर दमको":

    सार्थक आव्हान ..... स्वयं ही लड़ना ही होगा

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  4. सार्थक अभिव्यक्ति

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  5. साँस भर गहरी उठो,
    कर्म अपने फिर गढ़ो।

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  6. नारी शक्ति को जगाती सार्थक रचना ....
    सादर !

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  7. बेहद उम्दा ... सादर !

    चल मरदाने,सीना ताने - ब्लॉग बुलेटिन आज की ब्लॉग बुलेटिन मे आपकी पोस्ट को भी शामिल किया गया है ... सादर आभार !

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  8. कोई कृष्ण नहीं आयेगे

    खुद को खुद ही बचाना होगा सार्थक संदेश मयी सशक्त भावभिव्यक्ति....

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  9. सार्थक आह्वान .... अभी तक संघर्ष किया है अब संहार करना है ।

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  10. सार्थक आह्वान हर माँ बहन बेटी के लिए और समाज को चेतावनी देती पोस्ट बधाई

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  11. गहन भाव लिये सशक्‍त लेखन ...
    आभार

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  12. कविता मे बहुत अच्छा आह्वान किया है आंटी!

    सादर

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  13. जरूरी तो नही कि सफलता पहली बार में ही मिले हर बार हरेक को करना होगा संघर्ष, विचार बदलने होंगे, सबक सिखाना होगा हर स्तर पर घर पर, स्कूल और कॉलेजेस में,, समाज में दफ्तरों में, अदोलतों में ।

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  14. नारी शक्ति को जागृत करो ... उठो की कोई नहीं आता दूसरों के दुःख में ... अपनी ढाल खुद बनो ... दुर्गा काली बनो ...
    लाजवाब रचना ...

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  15. नारी शक्ति को आह्वान करती बहुत सुंदर उम्दा प्रस्तुति,,,

    recent post: मातृभूमि,

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  16. ज्वाला बनकर दमको
    भीतर एक आग जगाओ
    पड़ने वाले हर कुदृष्टि को
    भस्म कर डालो...
    लाजवाब रचना ...

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  17. काली-कलुषित नजर से, रहे सुरक्षित नारि |
    बने सुरक्षित तंत्र अब, धरे ध्यान परिवारि |
    धरे ध्यान परिवारि, विसारो पिछली बातें |
    दुर्घटना से सीख, परख ले रिश्ते नाते |
    ले उत्तर जह खोज, बनी हर नारि सवाली |
    अगर करोगे देर, बनेगी ज्वाला काली ||

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  18. ओजपूर्ण और सटीक अभिव्यक्ति

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  19. ये हौसले बनाए रखिये ये निजाम अब बदलने को है चिंगारी सुलगती रहे तेवर बने रहें इस मरगिल्ली सरकार के खिलाफ .आभार आपकी सद्य टिपण्णी का .

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  20. जलकर भस्म होने से पूर्व जला डालो

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  21. शत प्रतिशत सहमत.......'काली' का का भी एक रूप है नारी का।

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  22. बहुत सशक्त रचना.....
    आस और हिम्मत जगाती....

    सादर
    अनु

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  23. बहुत ही त्रासद समय में एक मार्मिक कविता |

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  24. अंतर्निहित नारी शक्ति को जगाने के लिए सटीक आह्वान !
    New post कुछ पता नहीं !!! (द्वितीय भाग )
    New post: कुछ पता नहीं !!!

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  25. nayee umeed jagati ek shashakt rachna..

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  26. कोई कृष्ण नहीं आयेगे
    खुद को खुद ही बचाना होगा

    और नहीं बस। अब स्वसक्षम होना ही होगा। सार्थक सन्देश।
    सादर
    मधुरेश

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  27. antarman ko jhakjhor deni vaali kavita.

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