जीवन के रंग
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जीवन के रंग |
मन में उमंग
ह्रदय में तरंग
अपनों के संग
यही जीवन के रंग
पुल्कित अंग अंग
न सोच हुई तंग
न विचारों में जंग
न सपने हुए भंग
देख रह गई दंग
सीख गई जीने का ढंग
अगर लेखनी हो संग
भरती रहूँ जीवन में रंग
रंग ही रंग ,रंग ही
रंग
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महेश्वरी कनेरी
सृजनात्मकता में यही खूबी है कि वह जीवन को जीने का ढंग देती है. बहुत सुंदर रचना.
ReplyDeleteभरती रहूँ जीवन में रंग
ReplyDeleteसुन्दर रचना .........
जीवन में भरती रहे, सदा अनोखे रंग ।
ReplyDeleteधन्य धन्य शुभ लेखनी, रहे हमेशा संग ।।
बहुत अच्छी रचना
ReplyDeleteसुंदर भाव
रंगों से ही जीवन जीवित है ......
ReplyDeleteसीख गई जीने का ठंग
ReplyDeleteअगर लेखनी हो संग
भरती रहूँ जीवन में रंग
रंग ही रंग ,रंग ही रंग.... इन्द्रधनुषी रंग बिखरे हैं
हम भी तो हैं आपके संग
ReplyDeleteलेकर हाथों में कूची और रंगः)
उत्कृष्ट सृजन,,यही जीवन के रंग,,,,,,
ReplyDeleteRECENT POST: तेरी फितरत के लोग,
बस ऐसे ही रंग भरे रहें।
ReplyDeleteलेखनी के साथ जीवन के रंग ... बहुत सुंदर अभिव्यक्ति ....
ReplyDeleteठंग --- ढंग
सीख गई जीने का ढंग
ReplyDeleteअगर लेखनी हो संग
भरती रहूँ जीवन में रंग
रंग ही रंग ,रंग ही रंग
वाह ! बहुत खूब !!
सुंदर इन्द्रधनुषी अभिव्यक्ति
ReplyDeleteसत्य कहती सुंदर अभिव्यक्ति ...!!
ReplyDeleteगाफिल जी अति व्यस्त हैं, हमको गए बताय ।
ReplyDeleteउत्तम रचना देख के, चर्चा मंच ले आय ।
जीवन में रंग न हो तो जीवन का आकर्षण समाप्त हो जाता है .ऐसे ही रंग भरते रहिये .
ReplyDeleteभरती रहूँ जीवन में रंग
ReplyDeleteरंग ही रंग ,रंग ही रंग
आपकी हर तमन्ना पूरी हो आंटी!
सादर
सीख गई जीने का ढंग
ReplyDeleteअगर लेखनी हो संग
भरती रहूँ जीवन में रंग
रंग ही रंग ,रंग ही रंग
वाह वाह अतिसुन्दर रचना भी अपने इन्द्रधनुषी रंग बिखेर रही है
बहुत खुबसूरत रचना अभिवयक्ति.........
ReplyDeleteभरती रहूँ जीवन में रंग
ReplyDeleteरंग ही रंग ,रंग ही रंग... wah ma'am yahi rang jeena sikha dete hain..
बज उठी जल तरंग
ReplyDeleteझूमे अंग-प्रत्यंग
बना रहे सत्संग
भरें जीवन में रंग........
शुभकामनायें..........
शुभकामनायें..... ये रंग सदैव जीवंत बने रहें
ReplyDeleteBEAUTIFUL LINES WITH COLOUR AND LOVE
ReplyDeleteसुन्दर, उत्कृष्ट! जीवन में रंग भारती कविता..
ReplyDeleteसादर
मधुरेश
मन में उमंग
ReplyDeleteह्रदय में तरंग
अपनों के संग
यही जीवन के रंग
पुल्कित अंग अंग......पुलक से इत प्रत्यय लगाके बना -पुलकित .
रचना में सारल्य और एक ख़ुशी का दर्शन है .बधाई .
बहुत सुंदर रंग !
ReplyDeleteरंगों की छटा नित बिखरती रहे ..ऐसी ईश्वर से प्रार्थना है .
ReplyDeleteबहुत ही सुन्दर उत्कृष्ट रचना..
ReplyDeleteजीवन की ये रंगत सदैव बरकरार रहे..
:-):-) :-)
वाह! बहुत ही सुन्दर रंग भर दिए है आपने.
ReplyDeleteसंग संग दंग है कनेरी जी.
आभार.
रंग ही जीवन को सही-सही परिभाषित कर पाते हैं।
ReplyDeleteसुंदर अभिव्यक्ति..
ReplyDeleteलेखनी सदा रहे संग
ReplyDeleteयूं ही रहे बिखरते
काव्य के रंग तरंग ।
सीख गई जीने का ढंग
ReplyDeleteअगर लेखनी हो संग
वाह !!!
वाह ...बेहतरीन भाव लिए उत्कृष्ट अभिव्यक्ति ...आभार
ReplyDeleteयही तो जीने को देते है उमग !
ReplyDeleteसच में लेखनी का साथ हो तो जीवन में रंग ही रंग है।
ReplyDeleteजीवन में भरती रहूँ रंग ही रंग |
ReplyDeleteबहुत भावपूर्ण प्रस्तुति |
आशा
बहुत सुन्दर ......कितना सुकून मिलता है लिखने से ......हर व्यथा ..हर दर्द....जैसे बह जाता है ....और केवल सुख का साम्राज्य रह जाता है ...
ReplyDeleteलेखनी से अच्छा साथी कौन ??
ReplyDeleteशुभकामनायें आपको !
वाह...अद्भुत अभिव्यक्ति...बधाई स्वीकारें
ReplyDeleteनीरज
वाह।कमाल है।
ReplyDeleteमन में उमंग
ReplyDeleteह्रदय में तरंग
अपनों के संग.........भावपूर्ण प्रस्तुति |