abhivainjana


Click here for Myspace Layouts

Followers

Wednesday, 3 October 2012

जिन्दगी जिन्दादिली का नाम है..



जिन्दगी जिन्दादिली का नाम है , तो चलो जी के देख लें
दर्दे दिल ही जब दवा बन जाए, तो चलो पी के देख लें

बेवजह पड़ी हुई थी जिन्दगी, काटे नही कटती थी जिन्दगी
अपने लिए बहुत जी लिए, औरों के लिए भी जी कर देख लें

चलना ही जिन्दगी है अगर, तो फिर धूप क्या छाँव क्या है
फूल से राहों में सब चलते हैं, काँटो में भी चल कर देख लें 

दुनिया के इस अपार भीड़ में, कुछ अपने कुछ पराए भी हैं
अपनों को तो देख लिया अब, गैरों को भी अपना के देख लें

 उदास आँखें ,गुमसुम चेहरा ,जमाना बीत गया शायद हँसे हुए
खुद तो बहुत हँस लिए अब ,चलो उसे् भी हँसा के देख लें

आसमां छूने की जि़द है अगर ,तो हौसले बुलन्द चाहिए
पंखो से करना क्या है,चलो आसमां को ही झुका के देख लें
***************
महेश्वरी कनेरी

40 comments:

  1. दुनिया के इस अपार भीड़ में, कुछ अपने कुछ पराए भी हैं
    अपनों को देख लिया अब, गैरों को भी अपना के देख लें

    आसमां छूने की जिद्द है अगर ,तो हौसले बुलन्द चाहिए
    पंखो से करना क्या है,चलो आसमां को ही झुका के देख लें

    बहुत खूब ! दीदी आपको ,आपके हौसले को नमन ..... !!

    ReplyDelete
  2. वाह दी....
    बहुत सुन्दर गज़ल...
    दुनिया के इस अपार भीड़ में, कुछ अपने कुछ पराए भी हैं
    अपनों को तो देख लिया अब, गैरों को भी अपना के देख लें

    हर शेर लाजवाब...
    सादर
    अनु

    ReplyDelete
  3. वाह! मुबारक हो आपके हौंसले को ......
    ख़ुशी का साथ निबाहते है सभी
    चलो गमों का साथ निबाह कर देख लें .......

    शुभकामनायें!

    ReplyDelete
  4. सात्विक-जिद से आसमाँ, झुक जाते भगवान् ।
    पीर पराई बाँट के, धन्य होय इंसान ।
    धन्य होय इंसान, मिलें दुर्गम पथ अक्सर ।
    हों पूरे अरमान, कोशिशें कर ले बेहतर ।
    बाँट एक मुस्कान, मिले तब शान्ति आत्मिक ।
    दीदी धन्य विचार, यही तो शुद्ध सात्विक ।।

    ReplyDelete
  5. उदास आँखें ,गुमसुम चेहरा ,जमाना बीत गया शायद हँसे हुए
    खुद तो बहुत हँस लिए अब ,चलो उसे् भी हँसा के देख लें

    आसमां छूने की जिद्द है अगर ,तो हौसले बुलन्द चाहिए
    पंखो से करना क्या है,चलो आसमां को ही झुका के देख लें
    क्‍या बात है ... हर शेर प्रेरणात्‍मक भाव‍ लिए इस उत्‍कृष्‍ट प्रस्‍तुति के लिए आभार

    ReplyDelete
  6. आसमां छूने की जिद्द है अगर ,तो हौसले बुलन्द चाहिए
    पंखो से करना क्या है,चलो आसमां को ही झुका के देख लें....bahut hi prerna deti panktiyaan ..shundar rachana ..

    ReplyDelete
  7. मेरी टिप्पणी स्पैम में छिप गयी है ।

    ReplyDelete
  8. चलना ही जिन्दगी है अगर, तो फिर धूप क्या छाँव क्या है
    फूल से राहों में सब चलते हैं, काँटो में भी चल कर देख लें

    खूबसूरत !

    ReplyDelete
  9. जिंदगी कभी किसी के लिए कहीं नहीं रूकती ,और आपकी आज की रचना ने तो इसे सार्थक कर दिया ,शानदार पोस्ट के लिए बधाई |मेरे ब्लॉग पर स्वागत है |

    ReplyDelete
  10. बहुत खूबसूरती से लिखा है आपने....
    जिंदगी को जी भर के जीना ही चाहिए..
    बहुत ही सुन्दरता से जिंदगी के भावों को व्यक्त किया है..
    उत्कृष्ट रचना.....
    :-)

    ReplyDelete
  11. बेवजह पड़ी हुई थी जिन्दगी, काटे नही कटती थी जिन्दगी
    अपने लिए बहुत जी लिए, औरों के लिए भी जी कर देख लें
    बहुत खूबसूरत रचना।
    औरों के लिए जीना ही जीवन का असली मकसद है।

    ReplyDelete
  12. दुनिया के इस अपार भीड़ में, कुछ अपने कुछ पराए भी हैं
    अपनों को तो देख लिया अब, गैरों को भी अपना के देख लें....
    कोशिश ही सही,जीने का मकसद तो साथ होगा

    ReplyDelete
  13. बहुत सुंदर रचना
    अच्छे भाव


    बेवजह पड़ी हुई थी जिन्दगी, काटे नही कटती थी जिन्दगी
    अपने लिए बहुत जी लिए, औरों के लिए भी जी कर देख लें

    ReplyDelete
  14. सुन्दर प्रस्तुति!
    बधाई हो!
    बीत गया है दो अक्टूबर!
    अब एक साल बाद ही याद आयेंगी ये महान विभूतियाँ!
    यही है हमारी जिन्दादिली!

    ReplyDelete
  15. आसमां छूने की जिद्द है अगर ,तो हौसले बुलन्द चाहिए
    पंखो से करना क्या है,चलो आसमां को ही झुका के देख लें

    महेश्वरी कनेरी जी आप सबसे पहले पूरी रचना मेल करें मेरे संग्रह के लिए . बहुत खुबसूरत .

    ReplyDelete
  16. दुनिया के इस अपार भीड़ में, कुछ अपने कुछ पराए भी हैं
    अपनों को तो देख लिया अब, गैरों को भी अपना के देख लें

    बहुत सार्थक बात कहती रचना


    सादर

    ReplyDelete
  17. बेवजह पड़ी हुई थी जिन्दगी, काटे नही कटती थी जिन्दगी
    अपने लिए बहुत जी लिए, औरों के लिए भी जी कर देख लें

    जीवन का असली मकसद यही है

    ReplyDelete
  18. जी के देखी, वही जिन्दगी,
    वरना, हम भी बोझ उठाते।

    ReplyDelete
  19. आसमां छूने की जिद्द है अगर ,तो हौसले बुलन्द चाहिए
    पंखो से करना क्या है,चलो आसमां को ही झुका के देख लें
    बहुत बहुत मुबारक हो.......

    ReplyDelete
  20. सकारात्मक सोच और हौसला सदा बना रहे ..... सुंदर पंक्तियाँ

    ReplyDelete
  21. खबर मिल गयी थी चर्चा मंच पे
    लिखी है आपने एक सुंदर गजल
    लगा हमको उसके बाद ही
    कि चलो पढ़ कर भी देख लें !

    ReplyDelete
  22. This comment has been removed by the author.

    ReplyDelete
  23. चलना ही जिन्दगी है अगर, तो फिर धूप क्या छाँव क्या है
    फूल से राहों में सब चलते हैं, काँटो में भी चल कर देख लें
    बहुत भाव पूर्ण अभिव्यक्ति ...सत्य को उद्घृत करती .....
    हार्दिक आभार

    ReplyDelete
  24. 'औरों के लिए भी जी कर देख लें'
    - इससे बड़ी बात और क्या हो सकती है !

    ReplyDelete
  25. Enjoy life at its fullest !

    ReplyDelete
  26. चलना ही जिन्दगी है अगर, तो फिर धूप क्या छाँव क्या है
    फूल से राहों में सब चलते हैं, काँटो में भी चल कर देख लें .......बहुत सुन्दर

    ReplyDelete
  27. बेवजह पड़ी हुई थी जिन्दगी, काटे नही कटती थी जिन्दगी
    अपने लिए बहुत जी लिए, औरों के लिए भी जी कर देख लें
    ...बहुत ही उम्दा सोच ....बहुत सुन्दर रचना महेश्वरीजी

    ReplyDelete
  28. बहुत बहुत सुंदर भाव व अभिव्यक्ति ! मन खुश हो गया पढ़कर !:)

    ~कभी सातवें आसमान पर खिलखिलाती, कभी किसी गढ़े में सहमी मिलती है ज़िंदगी...
    विरोधाभास से क़दम मिला....खुद के संग जीती-मरती है ज़िंदगी.....
    फिर ज़िंदगी क्यों हमें जिए...हम जियेंगे जी भर के ज़िंदगी...~ :-)
    -सादर

    ReplyDelete
  29. बहुत अच्छा लगा , आपकी इस रचना को पढ कर अपनी एक बहुत पुरानी लिखी रचना भी याद आ गयी...

    ReplyDelete
  30. एक विरोधाभास भी है ज़िन्दगी -बहुत सुंदर

    ReplyDelete

  31. आसमां छूने की जिद्द है अगर ,तो हौसले बुलन्द चाहिए........ज़िद कर लें जिद्द को

    गिरते हैं शहसवार ही मैदाने जंग में ,वह तिफ्ल क्या गिरे जो ,घुटनों के बल चले यह शुद्ध रूप है इस शैर का .शह सवार होता है शाही सवारी करने वाला .

    ReplyDelete
  32. वाह ...कमाल का शब्द समायोजन .इतनी सुन्दर गजल के लिए बधाई

    ReplyDelete
  33. संगीता स्वरुप ( गीत ) has left a new comment on my post "जिन्दगी जिन्दादिली का नाम है..":

    आसमां को ही झुका कर देख लें .... वाह बहुत बढ़िया गज़ल

    ReplyDelete
  34. आसमां छूने की जि़द है अगर ,तो हौसले बुलन्द चाहिए
    पंखो से करना क्या है,चलो आसमां को ही झुका के देख लें. जिद अथवा जूनून जिन्दगी के माईने बदल देते हैं ...बेहतरीन..........

    ReplyDelete
  35. बुलंद इरादों से बुलंद कविता. बहुत खूब.

    ReplyDelete
  36. कमाल है.
    आसमां झुक गया है आपकी गरज से.
    देखिये दूर कहीं जमीं आसमां का मिलन हो रहा है.

    ओजस्वी सुन्दर प्रस्तुति के लिए हार्दिक आभार जी.

    ReplyDelete
  37. जिसने दर्द को पीना सीख लिया ...
    उसने जिनदगी को जीना सीख लिया...
    #बस यू ही...

    ReplyDelete
  38. Bahut khubsurat prastuti sir sadar aabhar 🙇
    Vandana Dwivedi'Neelam'

    ReplyDelete