जिन्दगी जिन्दादिली
का नाम है , तो चलो जी के देख लें
दर्दे दिल ही जब दवा
बन जाए, तो चलो पी के देख लें
बेवजह पड़ी हुई थी जिन्दगी,
काटे नही कटती थी जिन्दगी
अपने लिए बहुत जी
लिए, औरों के लिए भी जी कर देख लें
चलना ही जिन्दगी है
अगर, तो फिर धूप क्या छाँव क्या है
फूल से राहों में सब चलते हैं, काँटो में भी चल कर देख लें
दुनिया
के इस अपार भीड़ में, कुछ अपने कुछ पराए भी हैं
अपनों
को तो देख लिया अब, गैरों को भी अपना के देख लें
उदास आँखें ,गुमसुम चेहरा ,जमाना बीत गया शायद हँसे हुए
खुद
तो बहुत हँस लिए अब ,चलो उसे् भी हँसा के देख लें
आसमां
छूने की जि़द है अगर ,तो हौसले बुलन्द चाहिए
पंखो
से करना क्या है,चलो आसमां को ही झुका के देख लें
***************
महेश्वरी
कनेरी
दुनिया के इस अपार भीड़ में, कुछ अपने कुछ पराए भी हैं
ReplyDeleteअपनों को देख लिया अब, गैरों को भी अपना के देख लें
आसमां छूने की जिद्द है अगर ,तो हौसले बुलन्द चाहिए
पंखो से करना क्या है,चलो आसमां को ही झुका के देख लें
बहुत खूब ! दीदी आपको ,आपके हौसले को नमन ..... !!
वाह दी....
ReplyDeleteबहुत सुन्दर गज़ल...
दुनिया के इस अपार भीड़ में, कुछ अपने कुछ पराए भी हैं
अपनों को तो देख लिया अब, गैरों को भी अपना के देख लें
हर शेर लाजवाब...
सादर
अनु
वाह! मुबारक हो आपके हौंसले को ......
ReplyDeleteख़ुशी का साथ निबाहते है सभी
चलो गमों का साथ निबाह कर देख लें .......
शुभकामनायें!
सात्विक-जिद से आसमाँ, झुक जाते भगवान् ।
ReplyDeleteपीर पराई बाँट के, धन्य होय इंसान ।
धन्य होय इंसान, मिलें दुर्गम पथ अक्सर ।
हों पूरे अरमान, कोशिशें कर ले बेहतर ।
बाँट एक मुस्कान, मिले तब शान्ति आत्मिक ।
दीदी धन्य विचार, यही तो शुद्ध सात्विक ।।
उदास आँखें ,गुमसुम चेहरा ,जमाना बीत गया शायद हँसे हुए
ReplyDeleteखुद तो बहुत हँस लिए अब ,चलो उसे् भी हँसा के देख लें
आसमां छूने की जिद्द है अगर ,तो हौसले बुलन्द चाहिए
पंखो से करना क्या है,चलो आसमां को ही झुका के देख लें
क्या बात है ... हर शेर प्रेरणात्मक भाव लिए इस उत्कृष्ट प्रस्तुति के लिए आभार
आसमां छूने की जिद्द है अगर ,तो हौसले बुलन्द चाहिए
ReplyDeleteपंखो से करना क्या है,चलो आसमां को ही झुका के देख लें....bahut hi prerna deti panktiyaan ..shundar rachana ..
मेरी टिप्पणी स्पैम में छिप गयी है ।
ReplyDeleteचलना ही जिन्दगी है अगर, तो फिर धूप क्या छाँव क्या है
ReplyDeleteफूल से राहों में सब चलते हैं, काँटो में भी चल कर देख लें
खूबसूरत !
जिंदगी कभी किसी के लिए कहीं नहीं रूकती ,और आपकी आज की रचना ने तो इसे सार्थक कर दिया ,शानदार पोस्ट के लिए बधाई |मेरे ब्लॉग पर स्वागत है |
ReplyDeleteबहुत खूबसूरती से लिखा है आपने....
ReplyDeleteजिंदगी को जी भर के जीना ही चाहिए..
बहुत ही सुन्दरता से जिंदगी के भावों को व्यक्त किया है..
उत्कृष्ट रचना.....
:-)
बेवजह पड़ी हुई थी जिन्दगी, काटे नही कटती थी जिन्दगी
ReplyDeleteअपने लिए बहुत जी लिए, औरों के लिए भी जी कर देख लें
बहुत खूबसूरत रचना।
औरों के लिए जीना ही जीवन का असली मकसद है।
दुनिया के इस अपार भीड़ में, कुछ अपने कुछ पराए भी हैं
ReplyDeleteअपनों को तो देख लिया अब, गैरों को भी अपना के देख लें....
कोशिश ही सही,जीने का मकसद तो साथ होगा
बहुत सुंदर रचना
ReplyDeleteअच्छे भाव
बेवजह पड़ी हुई थी जिन्दगी, काटे नही कटती थी जिन्दगी
अपने लिए बहुत जी लिए, औरों के लिए भी जी कर देख लें
सुन्दर प्रस्तुति!
ReplyDeleteबधाई हो!
बीत गया है दो अक्टूबर!
अब एक साल बाद ही याद आयेंगी ये महान विभूतियाँ!
यही है हमारी जिन्दादिली!
आसमां छूने की जिद्द है अगर ,तो हौसले बुलन्द चाहिए
ReplyDeleteपंखो से करना क्या है,चलो आसमां को ही झुका के देख लें
महेश्वरी कनेरी जी आप सबसे पहले पूरी रचना मेल करें मेरे संग्रह के लिए . बहुत खुबसूरत .
दुनिया के इस अपार भीड़ में, कुछ अपने कुछ पराए भी हैं
ReplyDeleteअपनों को तो देख लिया अब, गैरों को भी अपना के देख लें
बहुत सार्थक बात कहती रचना
सादर
बेवजह पड़ी हुई थी जिन्दगी, काटे नही कटती थी जिन्दगी
ReplyDeleteअपने लिए बहुत जी लिए, औरों के लिए भी जी कर देख लें
जीवन का असली मकसद यही है
सुंदर रचना !
ReplyDeleteजी के देखी, वही जिन्दगी,
ReplyDeleteवरना, हम भी बोझ उठाते।
आसमां छूने की जिद्द है अगर ,तो हौसले बुलन्द चाहिए
ReplyDeleteपंखो से करना क्या है,चलो आसमां को ही झुका के देख लें
बहुत बहुत मुबारक हो.......
सकारात्मक सोच और हौसला सदा बना रहे ..... सुंदर पंक्तियाँ
ReplyDeleteउम्दा अभिव्यक्ति |
ReplyDeleteखबर मिल गयी थी चर्चा मंच पे
ReplyDeleteलिखी है आपने एक सुंदर गजल
लगा हमको उसके बाद ही
कि चलो पढ़ कर भी देख लें !
This comment has been removed by the author.
ReplyDeleteचलना ही जिन्दगी है अगर, तो फिर धूप क्या छाँव क्या है
ReplyDeleteफूल से राहों में सब चलते हैं, काँटो में भी चल कर देख लें
बहुत भाव पूर्ण अभिव्यक्ति ...सत्य को उद्घृत करती .....
हार्दिक आभार
'औरों के लिए भी जी कर देख लें'
ReplyDelete- इससे बड़ी बात और क्या हो सकती है !
Enjoy life at its fullest !
ReplyDeleteचलना ही जिन्दगी है अगर, तो फिर धूप क्या छाँव क्या है
ReplyDeleteफूल से राहों में सब चलते हैं, काँटो में भी चल कर देख लें .......बहुत सुन्दर
बेवजह पड़ी हुई थी जिन्दगी, काटे नही कटती थी जिन्दगी
ReplyDeleteअपने लिए बहुत जी लिए, औरों के लिए भी जी कर देख लें
...बहुत ही उम्दा सोच ....बहुत सुन्दर रचना महेश्वरीजी
बहुत बहुत सुंदर भाव व अभिव्यक्ति ! मन खुश हो गया पढ़कर !:)
ReplyDelete~कभी सातवें आसमान पर खिलखिलाती, कभी किसी गढ़े में सहमी मिलती है ज़िंदगी...
विरोधाभास से क़दम मिला....खुद के संग जीती-मरती है ज़िंदगी.....
फिर ज़िंदगी क्यों हमें जिए...हम जियेंगे जी भर के ज़िंदगी...~ :-)
-सादर
बहुत अच्छा लगा , आपकी इस रचना को पढ कर अपनी एक बहुत पुरानी लिखी रचना भी याद आ गयी...
ReplyDeleteएक विरोधाभास भी है ज़िन्दगी -बहुत सुंदर
ReplyDelete
ReplyDeleteआसमां छूने की जिद्द है अगर ,तो हौसले बुलन्द चाहिए........ज़िद कर लें जिद्द को
गिरते हैं शहसवार ही मैदाने जंग में ,वह तिफ्ल क्या गिरे जो ,घुटनों के बल चले यह शुद्ध रूप है इस शैर का .शह सवार होता है शाही सवारी करने वाला .
वाह ...कमाल का शब्द समायोजन .इतनी सुन्दर गजल के लिए बधाई
ReplyDeleteसंगीता स्वरुप ( गीत ) has left a new comment on my post "जिन्दगी जिन्दादिली का नाम है..":
ReplyDeleteआसमां को ही झुका कर देख लें .... वाह बहुत बढ़िया गज़ल
आसमां छूने की जि़द है अगर ,तो हौसले बुलन्द चाहिए
ReplyDeleteपंखो से करना क्या है,चलो आसमां को ही झुका के देख लें. जिद अथवा जूनून जिन्दगी के माईने बदल देते हैं ...बेहतरीन..........
बुलंद इरादों से बुलंद कविता. बहुत खूब.
ReplyDeleteकमाल है.
ReplyDeleteआसमां झुक गया है आपकी गरज से.
देखिये दूर कहीं जमीं आसमां का मिलन हो रहा है.
ओजस्वी सुन्दर प्रस्तुति के लिए हार्दिक आभार जी.
जिसने दर्द को पीना सीख लिया ...
ReplyDeleteउसने जिनदगी को जीना सीख लिया...
#बस यू ही...
Bahut khubsurat prastuti sir sadar aabhar 🙇
ReplyDeleteVandana Dwivedi'Neelam'