मन में उठने वाले हर भाव हर अह्सास को शब्दों में बाँध, उन्हें सार्थक अर्थों में पिरोकर एक नया आयाम देना चाह्ती हूँ । भावनाओ के इस सफर में मुझे कदम-कदम पर सहयोगी मित्रों की आवश्यकता होगी.. आपके हर सुझाव मेरा मार्ग दर्शन करेंगे...
सिर्फ हाथ भर की दुरी थी..............किसी शायर ने क्या खूब कहा है की - ये माना जिन्दगी होती है चार दिन की , बहुत होते हैं यारो ये चार दिन भी.. सुंदर अभिव्यक्ति........
हाइगा बनाईं हैं .... तो हाइकु भी बना देतीं ... :)
ReplyDeleteबहुत सुन्दर बना है .... :)
दिल की गहराई से निकली .... दिल को छू गई .... :)
वाह बहुत खूब ....
ReplyDeleteबेहतरीन लिखी हैं आंटी।
ReplyDeleteसादर
बीते पल कहाँ भूले जाते हैं।
ReplyDeleteकाश यह अहम् न होता ....बहुत सुन्दर महेश्वरी
ReplyDeleteबहुत सही लिखा है |शिकवे और शिकायत में वह पल बीत गए |
ReplyDeleteबीते पल लौट कर नहीं आते |
आशा
गहन भाव ...बहुत बहुत सुन्दर .. .
ReplyDeleteये हाथ भर की दुरी
ReplyDeleteबनी उम्र-भर की मजबूरी ......
वाह !!चित्र से साथ कविता बहुत जँच रही है...
ReplyDeleteसिर्फ हाथ भर दूर
फिर भी कितने दूर
भावपूर्ण रचना !!
कितनी गहरी बात कही है आपने...
ReplyDeleteशिकवे शिकायत में हि वो पल भी बीत गये
शानदार....बहूत हि बढीया....
यही तो बात है। हम सदुपयोग करना कब सीखेंगे --- पल का। हर पल का। खास पल का।
ReplyDeleteबेहतरीन अभिव्यक्ति की सुंदर रचना,,,,, ,
ReplyDeleteMY RECENT POST,,,,काव्यान्जलि ...: ब्याह रचाने के लिये,,,,,
maximum log yahi karte hain....
ReplyDeleteशायद पहले आप, पहले आप में ही जिंदगी के खूबसूरत लम्हे गंवा दिए ।
ReplyDelete....सुन्दर अभिव्यक्ति। आभार !
Yahi Hota Hai....
ReplyDeleteयही तो मुश्किल है- समझ बाद में आती है
ReplyDeleteसिर्फ हाथ भर की दुरी थी..............किसी शायर ने क्या खूब कहा है की -
ReplyDeleteये माना जिन्दगी होती है चार दिन की ,
बहुत होते हैं यारो ये चार दिन भी..
सुंदर अभिव्यक्ति........
कुछ शिकवे भी हों, शिकायत भी भी हो मज़ा जीने का और भी आता है.
ReplyDeleteसुंदर प्रस्तुति के लिये बधाइयाँ.
ओह...
ReplyDeleteहाथ भर की दूरी थी
और हाथ छूट गया....!
सुंदर प्रस्तुति
यह हाथ भार की दूरी ही कभी उम्र भर की दूरी बन जाती है...सुन्दर अभिव्यक्ति...
ReplyDeleteबहुत सुन्दर रचना ............
ReplyDeleteकाश,समय रहते लोग संबंधों को समझ पाते.
ReplyDeleteaksar aesa hi hota hai ye duri bhi tay nahi ho pati sunder bhav
ReplyDeleterachana
Moments of love are too precious but unfortunately we realize only when it is too late.
ReplyDeletedi
ReplyDeleteis chhoti si racha ke madhyam se aapne bahut gahan baat kahi hai
hardik naman
poonam
यह मिलना तो अधूरा ही रहा फिर..बात तो तब पूरी होगी जब ऐसे मिलें कि दो न रहें...तब कौन .? किसे..? क्या ? कहेगा....
ReplyDeleteशिकवे और शिकायत में वह पल बीत गए |
ReplyDeleteबीते पल लौट कर नहीं आते |
sahi baat hai......
हमसे आया न गया , तुमसे बुलाया न गया ,
ReplyDeleteफासला प्यार का दोनों से निभाया न गया |
शिकवे-शिकायतों का अपना सुख-दुख है. लेकिन इन्हीं से ही दो पल चुराए जा सकते हैं. सुंदर रचना.
ReplyDeleteबहुत ही अच्छी प्रस्तुति ...
ReplyDeleteशिकवे शिकायत ही सही ... कुछ पल साथ तो बीते ...
ReplyDeletegahri baat.....
ReplyDeletekya likhun Maheshwari ji ??? etani sundar rachana ki tareef ke ke liye shbdon ka abhav ho gaya hai >
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