abhivainjana


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Saturday, 9 June 2012

हाथ भर की दूरी


33 comments:

  1. हाइगा बनाईं हैं .... तो हाइकु भी बना देतीं ... :)
    बहुत सुन्दर बना है .... :)
    दिल की गहराई से निकली .... दिल को छू गई .... :)

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  2. वाह बहुत खूब ....

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  3. बेहतरीन लिखी हैं आंटी।


    सादर

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  4. बीते पल कहाँ भूले जाते हैं।

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  5. काश यह अहम् न होता ....बहुत सुन्दर महेश्वरी

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  6. बहुत सही लिखा है |शिकवे और शिकायत में वह पल बीत गए |
    बीते पल लौट कर नहीं आते |
    आशा

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  7. गहन भाव ...बहुत बहुत सुन्दर .. .

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  8. ये हाथ भर की दुरी
    बनी उम्र-भर की मजबूरी ......

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  9. वाह !!चित्र से साथ कविता बहुत जँच रही है...
    सिर्फ हाथ भर दूर
    फिर भी कितने दूर

    भावपूर्ण रचना !!

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  10. कितनी गहरी बात कही है आपने...
    शिकवे शिकायत में हि वो पल भी बीत गये
    शानदार....बहूत हि बढीया....

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  11. यही तो बात है। हम सदुपयोग करना कब सीखेंगे --- पल का। हर पल का। खास पल का।

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  12. शायद पहले आप, पहले आप में ही जिंदगी के खूबसूरत लम्हे गंवा दिए ।
    ....सुन्दर अभिव्यक्ति। आभार !

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  13. यही तो मुश्किल है- समझ बाद में आती है

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  14. सिर्फ हाथ भर की दुरी थी..............किसी शायर ने क्या खूब कहा है की -
    ये माना जिन्दगी होती है चार दिन की ,
    बहुत होते हैं यारो ये चार दिन भी..
    सुंदर अभिव्यक्ति........

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  15. कुछ शिकवे भी हों, शिकायत भी भी हो मज़ा जीने का और भी आता है.

    सुंदर प्रस्तुति के लिये बधाइयाँ.

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  16. ओह...
    हाथ भर की दूरी थी
    और हाथ छूट गया....!

    सुंदर प्रस्तुति

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  17. यह हाथ भार की दूरी ही कभी उम्र भर की दूरी बन जाती है...सुन्दर अभिव्यक्ति...

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  18. बहुत सुन्दर रचना ............

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  19. काश,समय रहते लोग संबंधों को समझ पाते.

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  20. aksar aesa hi hota hai ye duri bhi tay nahi ho pati sunder bhav
    rachana

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  21. Moments of love are too precious but unfortunately we realize only when it is too late.

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  22. di
    is chhoti si racha ke madhyam se aapne bahut gahan baat kahi hai
    hardik naman
    poonam

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  23. यह मिलना तो अधूरा ही रहा फिर..बात तो तब पूरी होगी जब ऐसे मिलें कि दो न रहें...तब कौन .? किसे..? क्या ? कहेगा....

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  24. शिकवे और शिकायत में वह पल बीत गए |
    बीते पल लौट कर नहीं आते |
    sahi baat hai......

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  25. हमसे आया न गया , तुमसे बुलाया न गया ,
    फासला प्यार का दोनों से निभाया न गया |

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  26. शिकवे-शिकायतों का अपना सुख-दुख है. लेकिन इन्हीं से ही दो पल चुराए जा सकते हैं. सुंदर रचना.

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  27. बहुत ही अच्‍छी प्रस्‍तुति ...

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  28. शिकवे शिकायत ही सही ... कुछ पल साथ तो बीते ...

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  29. kya likhun Maheshwari ji ??? etani sundar rachana ki tareef ke ke liye shbdon ka abhav ho gaya hai >

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