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Sunday, 17 June 2012

मेरे पिता एक आदर्श गुरू



पिता एक सम्बल एक शक्ति है
सृष्टी मे निर्माण की अभिव्यक्ति है…
     साधारण से दिखने वाले एक अद्भूत व्यक्तित्व के मालिक थे मेरे पिता । संघर्ष और कठिनाइयों को अपने भाग्य में लिखवाकर लाए थे । कर्म पर विश्वास करने वाले भला भाग्य से कब हार मानते हैं । उन्होंने हमें भी यही शिक्षा दी । हमेशा यही कहते काम कुछ भी करो पर ईमानदारी से करो,कोई देखे या न देखे ईश्वर जरुर देखता है । उनका ये मूलमंत्र मैने हमेशा अपने बच्चों को भी देने की कोशिश की ….
     पिता जी बहुत ही शान्त सौम्य धैर्यवान और नेक दिल इंसान थे ।खाने पीने और अच्छा पहनने के शौकीन थे ।अच्छे और गुणीजनों से मिलना उन्हें अच्छा लगता था । हमें भी हमेशा यही कहा करते थे अच्छे लोगों से मिलना हमेशा अच्छा ही होता है । संगति व्यक्तित्व पर गहरा प्रभाव छोड़ जाता है । अपने हर बच्चे को अच्छी से अच्छी शिक्षा देना ही उनका सपना था ।
     एक बार हमारे पड़ोस मे रह रही एक महिला जिनके पति की असमय मृत्यु होगई थी उनके छोटे-छोटे बच्चे थे । पिताजी ने दौड़ भाग कर किसी तरह उनकी पैंशन लगवा दी । महिला खुश होकर धन्यवाद देने हेतु हमारे घर एक बड़ा सा मिठाई का डिब्बा लेकर आई,पिता जी उस वक्त घर पर नहीं थे । हम छॊटे छॊटे भाई बहन उस मिठाई के डिब्बे को देख ललचाने लगे ,जैसे ही वो महिला हमारे घर से गई हमने आव देखा न ताव  बस टूट पड़े । जब शाम को पिताजी घर आये और हमने बडी खुशी खुशी सारी घटना बता दी , गुस्से में उन्होंने हम से पूछा डिब्बा कहाँ हैं? हमने कहा वो तो हमने खा लिया । पिताजी उसी समय उलटे पैर बाजार गए और मिठाई खरीद कर उस महिला के घर दे आए और उनसे कहा ये पैंशन मौहल्ले में मिठाई बाँटने के लिए नही बल्कि तुम्हारे इन छोटे-छोटे बच्चों के लिए है । घर आकर उन्होंने हमें समझाते हुए कहा कि किसी की मजबूरी का फायदा नहीं उठाना चाहिए अगर किसी की सहायता करो तो निस्वार्थ भाव से करो । ये घटना मैं आज तक भूल नही पाई । ये घटना नही बल्कि जिंदगी की एक बहुत बड़ी सीख थी ।
    घर में सबसे बडी़ होने के नाते मुझे हमेशा कहा करते थे तू मेरा बेटा है । बाहर से वे कितने ही कठोर और हिम्मती दिखते हों पर मन एकदम बच्चा सा था । एक बार मैं शादी के कुछ दिनों बाद अचानक घ्रर पहुँची तो देखा पिता जी अकेले रेडियो के पास बैठे गाना सुन कर रो रहे थे ,गाना आरहा था “खुशी खुशी करदो विदा कि रानी बेटी राज करे महलो का राजा….” उस समय टी.वी नही था रेडियो का चलन था और ये गाना हर शादी ब्याह में बजाया जाता था
   पिताजी छोटी उम्र मे ही फौज़ मे भर्ती होगए थे । second world war में prisoner of war भी रहे । उस समय के किस्से हमें बहुत शौक से अकसर सुनाया करते थे । फौज़से रिटायर्ड होने के बाद भी परिवार के भरण पोषन के लिए उन्हें फिर से नौकरी करनी पडी़ । जीवन के अंतिम समय तक वे निरन्तर संघर्षशील रहे..




    वे हमारे लिए एक पिता ही नहीं एक आदर्श गुरू भी थे ।आज भी मैं जिन्दगी के हर मोड़ पर उन्हें अपने साथ ही पाती हूँ ।




                                  महेश्वरी कनेरी..

31 comments:

  1. pita ki kami jiwan me koi puri nahi kar sakta he...bohot sundar kaneri ji :)

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  2. आज के दिन पिताजी की याद में यह पोस्ट सुखद लगा...सादर नमन !!

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  3. पिता एक सम्बल एक शक्ति है
    सृष्टी मे निर्माण की अभिव्यक्ति है…
    हर याद में जीते हैं, और साथ होता है, उनका आशीर्वाद...

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  4. फादर्स दे पर बहुत ही सुन्दर प्रस्तुति............

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  5. आपके पिताजी और उनके विचारों को सादर नमन।

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  6. अनुकरणीय विचार ...... आपके पिताजी को विनम्र नमन

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  7. दीदी ....पिता जी को मेरा नमन

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  8. आपके पिताजी,और उनके आदर्स विचार को सादर नमन,,,,,,

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  9. आदर्श पिता ... पिता रूपी गुरु को नमन

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  10. आपके पिताजी की भांति ही हमारे पिताजी भी द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान फौज मे रहे व ईमानदारी पर ताजिंदगी चले। सिलीगुड़ी मे एक मजदूर का अटका काम कराने पर वह उनकी गैर-हाजिरी मे मिठाई लाया था किन्तु हमारी माता या हम लोगों ने नहीं लिया और आफिस से आने पर बाबूजी ने उसे समझा कर लौटा दिया। कुछ मिलती-जुलती घटनाओं का उल्लेख आपने किया है। उनको (आपके पिताजी को )श्रन्धांजली तो उनकी ईमानदारी को अपना कर ही दी जा सकती है॰

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    1. धन्यवाद विजय जी आप के पिता जी के बारे में पढ़ कर अच्छा लगा.......

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  11. माता-पिता रूपी जड़ें हममें सदा जीवित रहतें हैं ..आखिर हम उन्ही के फूल हैं..

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  12. पिता एक आदर्श है जो कठोरता से रास्तों का निर्माण करता है

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  13. आपके पिताजी और उनके विचारों को सादर नमन।

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  14. आज की पोस्ट पद्य में न होकर भी कविता सी लगी...........
    बहुत अच्छा लगा पढकर....
    प्यारे से पापा की बेटियाँ भी प्यारी होती हैं....
    :-)

    सादर

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  15. पिता दिवस पर बहुत बहुत शुभकामनायें आपको व आपके पिता को...सुंदर प्रस्तुति !

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  16. आपको और आपके अच्छे संस्कारों के जन्म-दाता को मेरा सादर नमन .....

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  17. पिटा की याद हमेशा दिल में रहती है ... बहुत ही मन से याद किया है आज के दिन पिता कों ...

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  18. bahut acchi post ..pitajee ko naman...

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  19. बहुत सुन्दर प्रस्तुति!
    आपकी इस प्रविष्टी की चर्चा कल सोमवार (19-06-2012) के चर्चा मंच पर भी होगी!
    सूचनार्थ!

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  20. पितृ दिवस पर एक बेटी की एक कर्मठ आदर्श रूप हीरो पिता को अप्रतिम भेंट है यह संस्मरण जो बहुत ही निजी स्पर्श लिए हुए होते भी आम औ ख़ास सबके लिए समान रूप से महत्वपूर्ण हो उठा है .

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  21. पिताजी के इस महान व्यक्तित्व को नमन.

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  22. हर पिता अपनी बेटी के लिए उसका आदर्श ही होता हैं ...बहुत सही लेख से आपने सबको आवगत करवाया .....

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  23. एक महान व्यक्तित्व को विनम्र नमन...

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  24. पिताजी को सादर नमन।

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  25. प्रेरक,मार्मिक और हृदयस्पर्शी प्रस्तुति.

    आपके पिता श्री को मेरा सादर नमन.

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  26. माहेश्वरी जी आपकी भाव्नाओं को नमन ...पिताजी को भी ...

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  27. प्रेरक स्मृतियाँ , पिता के आशीर्वाद की छाँव सदा सिर पर रहती है.भावपूर्ण.

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  28. परमपिता परमेश्वर श्री कृष्ण कृपा से मुझे अपने पिताजी के पद्चिह्नों का अनुसरण करने की सद् बुद्धि मिली मैं उनसे प्राप्त संस्कार सम्पत्ति से अत्यंत संतुष्ट रहकर उनके उच्च आदर्शों को समाज में विकरीत करने का पूरा प्रयास करता हूँ ताकि उनसे प्राप्त देह के माध्यम से उनकी संस्कार रूपी सम्पत्ति से मेरे संपर्क में आने वाले जिज्ञासु जन भी संतोष धन से परिपूर्ण हो सकें....श्री हरिऊँतत्सत् SHANTI SWAROOP CALLIGRAPHER अक्षरसज्जक

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