abhivainjana


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Tuesday, 5 June 2012

बदलती दुनिया




बदलती दुनिया
 बदलती इस दुनिया में
पल-पल रंग बदलते देखा
बाहर से सब अच्छे हैं
अंदर छल कपट और धोखा
दो वक्त रोटी से
क्यों खुश नही इंसान
अधिक की चाहत में
कहाँ खो रहा इंसान
कैसी रीत चली जग में
पैसा रिश्ता पैसा भगवान
पैसे-पैसे के खातिर
आज बिक रहा इंसान
निज स्वार्थ ने
अपनों से तोड़ा नाता है
भाई-भाई का शत्रु बना
महाभारत फिर दोहराता है
*******
महेश्वरी कनेरी

24 comments:

  1. दो वक्त रोटी से
    क्यों खुश नही इंसान
    अधिक की चाहत में
    कहाँ खो रहा इंसान

    सही कहा...सबसे बड़ा धन संतोषधन ही गुम हो गया है.

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  2. बहुत सही कहा आंटी !


    सादर

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  3. बदल गयी है दुनिया, बदल गया इन्सान...
    गहन भाव... आभार

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  4. दो वक्त रोटी से
    क्यों खुश नही इंसान
    अधिक की चाहत में
    कहाँ खो रहा इंसान

    ....अधिक पाने की चाहत ने इंसानियत को कुचल दिया है..देख तेरे इंसान की हालत क्या हो गयी भगवान, कितना बदल गया इंसान....

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  5. चाँद न बदला सूरज न बदला न बदला रे आसमान,
    कितना बदल गया इंसान,,,,,,,,

    MY RESENT POST,,,,,काव्यान्जलि ...: स्वागत गीत,,,,,

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  6. सच कहा .......................
    महाभारत है मगर गीतोपदेश का पता नहीं......
    सादर.

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  7. insan ki yahi kamjori use patan ke gart me dhakel rahi hai----------mahabharat swabhavik hai

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  8. सच सभी की सोच यही तक सिमट कर रह गयी है....

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  9. आदमी सिक्के को,
    सिक्के आदमी को,
    खोटा बनाते हैं,
    वो एक दूसरे को
    छोटा बनाते हैं,
    आजकल सिक्के
    टकसाल में नहीं
    आदमी की हथेली
    पर ढल रहे हैं
    और बच्चे
    मां की गोद में नहीं
    सिक्के की परिधि
    में पल रहे हैं।

    बहुत सुंदर रचना
    सुंदर भाव

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  10. यही स्वार्थ तो जीने नहीं दे रहा.. इतनी खूबसूरत सी ज़िन्दगी को हम पैसे इत्यादि इच्छाओं में तिल-तिल कर मारते जा रहे हैं..

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  11. इस पैसे की अंधी दौड ने इन्सान की इन्सानियत ही छीन ली है ।

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  12. इतिहास दोहराता है ....
    महाभारत फिर दोहराता है ....
    इंसान हैं , इंसानी फितरत है ....
    गलतियों को दोहराते रहना ....

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  13. बिल्‍कुल सच कहा है आपने ...
    बेहतरीन अभिव्‍यक्ति ।

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  14. आपका भी मेरे ब्लॉग मेरा मन आने के लिए बहुत आभार
    आपकी बहुत बेहतरीन व प्रभावपूर्ण रचना...
    आपका मैं फालोवर बन गया हूँ आप भी बने मुझे खुशी होगी,......
    मेरा एक ब्लॉग है

    http://dineshpareek19.blogspot.in/

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  15. यथार्थवादी चित्रण...

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  16. बहुत बढ़िया....

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  17. इंसानियत के इस क्षरण के दौर में पैसा ही भगवान है।

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  18. दो वक्त रोटी से
    क्यों खुश नही इंसान
    अधिक की चाहत में
    कहाँ खो रहा इंसान......kya baat hai.....

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  19. आज दुर्योधन की सेना ज्यादा चालाक और शक्तिशाली हो गई है....
    पांडवों में भी फूट... कृष्ण भी क्या करे....
    सुंदर रचना.... सादर।

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  20. बहुत ही अच्छी कविता । मेरे नए पोस्ट पर आपका बेसब्री से इंतजार रहेगा । धन्यवाद ।

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  21. महाभारत की याद दिलाते और पैसा-पैसा करते हालात. बहुत बढ़िया कविता.

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  22. गहन चिंतन.. अच्छी कविता..

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