चुनाव |
भरे नहीं थे पिछले घाव
लो फिर आगया चुनाव
मुद्दों की मलहम लेकर
घर-घर बाँट रहे हैं
फिर नए साजिश की
क्या ये सोच रहे हैं ?
धर्म मज़हब की लेकर आड़
करते नित नए खिलवाड़
फिर शह-मात की बारी है
सियासी जंग की तैयारी है
आरोप प्रत्यारोप का
भयंकर गोला बारी है
विकास की उम्मीद लिए
परिवर्तन पर परिवर्तन
लेकिन थमता नहीं यहाँ
कुशासन का ये नर्तन
कहीं मुँह बड़ा हुआ यहाँ
कहीं हो रही रोटी छोटी
ऐसे राजा का क्या ?
जो कर दे देश की
किस्मत खोटी
*******
महेश्वरी कनेरी
बहुत सुंदर अभिव्यक्ति ।
ReplyDeleteसमसामयिक पंक्तियाँ .....
ReplyDeleteबहुत सुंदर अभिव्यक्ति .....
ReplyDeleteसामयिक रचना ....
कहीं हो रही रोटी छोटी
ReplyDeleteऐसे राजा का क्या ?
जो कर दे देश की
किस्मत खोटी
....शाश्वत सत्य को सहजता से बखान करतीं सुंदर पंक्तियाँ...!!!!
बहुत सुंदर..समकालीन परिदृश्य के हिसाब से बेहतरीन लिखा है।।।
ReplyDeleteसचमुच देश की किस्मत ही खोटी है।
ReplyDeleteसामयिक ... दुर्भाग्य है देशा का की नेतालोक हो बाँट रहे हैं देश को ...
ReplyDeleteहर बार चुनाव आता है, परिवर्तन कीं उम्मीद लिए। सटीक अभिव्यक्ति ...
ReplyDeleteबहुत ही सामयिक और सटीक रचना । ब्लाग पर आने का बहुत धन्यवाद क्यों कि इसीलिये मैं यहाँ सुन्दर रचनाएं पढ सकी । आप एक अच्छी बालसाहित्यकार भी हैं । मैं चाहती हूँ कि आप 'विहान'पर भी आएं । लिंक है--- http://manya-vihaan.blogspot.in/ । उत्तराखण्ड के एस सी ई आर टी के पाठ्यक्रम में कक्षा सात की हिन्दी में मेरी कहानी है । हो सके तो पढिये ।
ReplyDeleteऐसा लगता है कि आपने मेरे मन की बात
ReplyDeleteबहुत ही खूबसूरती से अपनी कलम से लिख
जग जाहिर कर दी है.
मेरे ब्लॉग पर आप आईं और अपनी टिपण्णी से मुझे प्रोत्साहित किया,
इसके लिए हार्दिक आभार.
प्रभावशाली रचना के लिए बहुत बहुत आभार । ऐसा लगता है देश से कुछ समय के लिए लोकतान्त्रिक व्यवस्था हटा लेनी चाहिए । कुछ वर्षों के लिए अब देश को तानाशाह चाहिए ।
ReplyDeleteवाह! क्या सुनाया है ..बहुत ही बढ़िया..
ReplyDeleteप्रभावशाली रचना मैम...
ReplyDeleteऐसे राजा का क्या ?
ReplyDeleteजो कर दे देश की
किस्मत खोटी
..देश के चिंता कहा अपनी तरक्की देश की तरक्की यही फार्मूला है आज के नेताओं का ..
बहुत बढ़िया सामयिक रचना
वर्तमान स्थितियों पर ओर चुनाव पर सार्थक और सटीक रचना
ReplyDeleteउत्कृष्ट प्रस्तुति
सादर
bahut achha likha hai
ReplyDeleteshubhkamnayen
बहुत ही सुन्दर, सामयिक रचना
ReplyDeleteकाश! सुशासन आ सके !
बेहतरीन अभिव्यक्ति
ReplyDeleteसादर