abhivainjana


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Tuesday 26 November 2013

सुबह का अहसास



ढूँढ़ रही मैं,

बीते वक्त के, उस कल को

छोड़ आई ,जहाँ पर

बचपन के उस पल को

हर दिन मैं बढ़ती जाती

उम्र की सीढ़ी चढ़ती जाती

और छूट रहा था बचपन पीछे

बचपन-बचपन कह पुकारती

पर पास कभी न वो आती

बस दूर खड़ी-खड़ी मुस्काती

जब मैं नन्हें हाथों से अपने

माँ की अँगुली थामे रहती

तब अकसर सोचा करती थी..

कब जल्दी बड़ी होजाऊँ

पर आज..

 बडी होकर भी मैं

वापस बचपन ढूँढ़ा करती हूँ

उम्र की ढलती इस संध्या में

यादों का दीया जला कर

मैं पगली ..

सुबह का अहसास संजोए रखती हूँ


***********
महेश्वरी कनेरी

30 comments:

  1. सच है बचपन फिर नहीं मिलता .... आशाएं यूँ ही बनी रहें ....शुभकामनायें आपको

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  2. बार बार आती है मुझको मधुर याद बचपन तेरी ...अविस्मरणीय रहती हैं स्मृतियाँ बचपन की ....आज के दिन की अनेक शुभकामनायें आपको .....!!

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  3. सटीक शब्दों से मन के भाव ढाले हैं इस प्रस्तुति में -
    आभार दीदी-

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  4. यादों का दिया जलाकर.... मैं पगली.... सुबह का अहसास संजोये रखती हूँ .... बचपन के कोमल भावों को बहुत ही सुंदर अहसास के साथ पिरोये हैं ....शुभकामनायें .

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  5. बहुत सुन्दर भाव......
    आस का दीप जलता रहे...रोशन हो जीवन |
    जन्मदिन की अनंत शुभकामनाएं......

    सादर
    अनु

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  6. बचपन कियाद दिलाती सुन्दर रचना । तस्वीर भी बहुत अच्छी है |

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  7. दिल के किसी कोने में वह आज भी जीवित है...जन्मदिन की शुभकामनायें !

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  8. सच बचपन में हमेशा बड़े होने की जल्दी रहती है और जब बड़े हो जाते हैं तो मन हर पल बचपन में लौटजाने को मचलता है। सुंदर भावाभिव्यक्ति...

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  9. बचपन की यादें ताज़ा करती भावपूर्ण रचना ... जनम दिन मुबारक ...

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  10. बहुत ही भावपूर्ण रचना, शुभकामनाएं.

    रामराम.

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  11. जन्मदिन मुबारक हो। हम आपके सुंदर,स्वस्थ,सुखद,समृद्ध उज्ज्वल भविष्य एवं दीर्घायुष्य की मंगल कामना करते हैं.

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  12. बहुत ही बढ़िया आंटी।
    जन्मदिन की हार्दिक शुभकामनाएँ!

    सादर

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  13. जन्मदिन की बहुत बहुत बधाई दीदी
    हार्दिक शुभकामनायें
    सादर

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  14. आदरणीया, जन्मदिन की हार्दिक बधाई और शुभकामनाएं -----
    बचपन की स्मृतियों को संजोती प्रभावशाली सुंदर रचना
    सादर

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  15. bahut sundar ..........jamdin ki hardik shubhkamnaye................

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  16. बहुत सही लिखा है आपने हर व्यक्ति अपना बचपन तलाशना चाहता है

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  17. सच बचपन के दिन बच्चों के साथ बहुत याद आते हैं ...आजकल के और उस समय के बच्चों में बहुत अंतर है ..फिर भी बचपन सा जीना बहुत अच्छा लगता है ...लेकिन हो नहीं पाता यह सब तो मन में कहीं अफ़सोस के भाव देर सवेर चेहरे पर आ ही जाते हैं ...
    बहुत सुन्दर

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  18. पर आज..
    बडी होकर भी मैं
    वापस बचपन ढूँढ़ा करती हूँ.....
    बहुत खूबसूरत और सार्थक रचना

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  19. jiwan ke adbhut kshano ki jiwant kahani kahati

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  20. बडी होकर भी मैं
    वापस बचपन ढूँढ़ा करती हूँ
    उम्र की ढलती इस संध्या में
    यादों का दीया जला कर
    मैं पगली ..
    सुबह का अहसास संजोए रखती हूँ
    ........ बहुत ही बढिया ... जन्‍मदिन की अनंत शुभकामनाएं

    सादर

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  21. ये एहसास यूँही संजोय रखें और हम सभी पर आपका स्नेहाशीष चिरंतर बना रहे. आमीन।

    सादर
    मधुरेश

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  22. यादें .....एक अटूट हिस्सा जीवन का ...हमारी दोस्त ...हमारी हमदर्द

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  23. Bahut hi sahi abivayakti....jab hum chotey hotey ahin to bass jaldi hee badey hona chahtey hain

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  24. शुभकामनाएं...शुभकामनाएं....शुभकामनाएं.


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  25. सच में बचपन को हम कहाँ भूल पाते हैं ....बहुत प्रभावी भावपूर्ण रचना....

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  26. बडी होकर भी मैं
    वापस बचपन ढूँढ़ा करती हूँ
    उम्र की ढलती इस संध्या में
    यादों का दीया जला कर
    मैं पगली ..
    सुबह का अहसास संजोए रखती हूँ
    sahi kaha aesa hi hota hai kya pata kyu shayad jo chhut jata hai ham usko ho dhundhte hain
    rachana

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  27. यादों के दीये की रोशनी में ज़िंदगी सुन्दर प्रतीत होती है. सुन्दर रचना...

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  28. वे यादें ही काफी हैं ..

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