कुछ लिखने की चाह में
मैंने कलम उठाई
विविध सोच के बीच
कल्पना को राह दिखाई
सोचा देश का गौरव गान लिखूँ
या फिर भ्रष्टाचार अपार लिखूँ
कुछ समझ न आया
सोच को यही विराम दिया
फिर नए विचारों को आयाम दिया
अब तो मन में विचारों की
अद्भूत झड़ी थी
कैसे-कैसे विचारों की
अनकही कढ़ी थी
तभी दे्खा सम्मुख मेरे एक परछाई सी खड़ी थी
पौशाक शुद्ध देशी थे,
पैबंध उसमें विदेशी थे
मैंनें पूछा ! कौन हो देवी तुम ममतामयी माँ सी ?
अविरल अश्रु भर आँखो में
वो बोली..!
पुत्री मैं तुम्हारी हिन्दी भाषा हूँ
सुन कर मैं चौंक गई..
राष्ट्रभाषा और ये दशा..?
हाथ पकड़ मैनें उन्हें बिठाया
खुद को उनके चरणों में पाया
सोच ने फिर करवट ली
सोचती रही !
स्वतंत्र तो हम हो गए पर
विचार अ्ब भी गुलाम है
विकास के इस दौर में
हिन्दी पर ही क्यों विराम है
बस सोच को एक दिशा मिल गई
आधार मिल गया,राह मिल गई
अब भाव मेरे बहने लगे
शब्द काग़ज में ढहने लगे
मैं लिखने लगी और लिखती रही
हे जगत जननी मातृ भाषा
ज्ञान गरिमा की भण्डार तुम
आचार व्यवहार की आधार तुम
भाषा जगत की सिरमोर तुम
संस्कृति परम्परा की धरोहर
एकता की हो अविचल धारा
तुम से ही है विस्तार हमारा
मैं लिख रही थी बस लिखती जा रही थी
भाव मेरे अभी रुके नहीं थे
कलम ने इति नही कहे थे
तभी…
अचानक वो उठ खड़ी हुई..
आँखों में उनके अद्भुत चमक थी
चेहरे में संतोष और शान्ति की झलक थी
वे बोली…
प्रयास करो,ऐसे ही प्रयास करती रहो
मैं फिर आऊँगी
ज्ञान गंगा बरसाऊँगी
कह अंतर्ध्यान हो गई
लेखनी मेरी वही थम गई
और
जब मेरी तंद्रा टूटी
मैनें देखा ! हाथ मेरे जुड़े हुए थे
होठ मेरे खुले हुए थे
मैं बोल रही थी…
हे विद्या बुद्धि दायिनी माँ
मेरी लेखनी में समा जाओ
मेरे विचारों को राह दिखाओ
आजीवन मैं तुम्हारी सेवा करना चाहती हूँ
मेरे भावों में बस जाओ माँ
तुम्हें मेरा शत-शत प्रणाम
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महेश्वरी कनेरी
बहुत अच्छा लिखी हैं आंटी
ReplyDeleteहिन्दी दिवस की हार्दिक शुभ कामनाएँ!
सादर
बहुत सुन्दर भाव.....
ReplyDeleteहिंदी दिवस के लिए एक दम सटीक...
हिन्दी दिवस की शुभकामनाएँ!
सादर
अनु
हिन्दीदिवस की हार्दिक शुभकामनाएँ!
ReplyDeleteआपका इस प्रविष्टी की चर्चा कल शनिवार (15-09-2012) के चर्चा मंच पर भी होगी!
सूचनार्थ!
आभार आप का..
Deleteअन्धकार में उजाले सी हिंदी ...
ReplyDeleteहिंदी के विराट दर्शन आपने करा दिए. रचना बहुत सशक्त बनी है. हिंदी दिवस की शुभकमनाएँ.
ReplyDeleteसशक्त रचना... हिन्दी दिवस की शुभकामनाएँ..
ReplyDeleteबहुत सुंदर पंक्तियाँ.हिन्दी दिवस की शुभकामनाएँ..
ReplyDeleteजय जय हिंदी लिख गई, माँ चरणों में बैठ ।
ReplyDeleteसुलगे चूल्हा, कोयला, बेढब ली'डर ऐंठ ।
बेढब ली'डर ऐंठ, नहीं गाई मंहगाई ।
जल डीजल जलजला, सिलिंडर आग लगाईं ।
कार्टून की गूँज, आस्था की हो चिंदी ।
नहीं कहूँ कुछ और, जोर से जय जय हिंदी ।।
आभार आप का..
Deleteभाव विभोर कराती रचना शत शत नमन
ReplyDeleteहिन्दी दिवस की शुभकामनाएँ
अद्भुत भाव... हिंदी दिवस की शुभकमनाएँ...
ReplyDeleteबहुत सुन्दर और बेहतरीन रचना...
ReplyDeleteबहुत सुन्दर....
हिंदी दिवस की शुभकामनाएँ
:-)
शब्द शब्द में खुद को ही देख रही थी
ReplyDeleteहिंदी दिवस की शुभकामनाएँ
वाह !! शानदार और सशक्त रचना...बहुत पसंद आई|
ReplyDeleteबहुत सुंदर रचना
ReplyDeleteमैं लिख रही थी बस लिखती जा रही थी
भाव मेरे अभी रुके नहीं थे
कलम ने इति नही कहे थे
तभी…
अचानक वो उठ खड़ी हुई..
आँखों में उनके अद्भुत चमक थी
चेहरे में संतोष और शान्ति की झलक थी
बहुत सुंदर
बहुत सुंदर...हिंदी दिवस की शुभकामनाएँ
ReplyDeleteहिन्दीदिवस की शुभकामनायें..
ReplyDelete
ReplyDeleteबहुत सुंदर........बहुत ही सटीक रचना .........हिंदी दिवस की शुभकामनाएँ
मेरे भावों में बस जाओ माँ
ReplyDeleteतुम्हें मेरा शत-शत प्रणाम......wah,bahot khoobsurat.
बहुत खूबसूरती से आपने अपनी भावनाओं को लिखा है .... सुंदर प्रस्तुति ...
ReplyDeleteसशक्त समसामयिक भाव...... शुभकामनायें
ReplyDeleteबहुत सुन्दर कामना ,अवश्य पूरी होगी !
ReplyDeleteसुन्दर ..सशक्त रचना
ReplyDeleteकह सकती भाषा तो शायद यही कहती !
ReplyDeleteशुभकामनायें !
हिंदी अपने इस विराट रूप को पुन्ह प्रापर करे ... ऐसी आशा है मन में ...
ReplyDeleteसुन्दर भाव मय रचना ..
बहुत खूबसूरती से हिंदी भाषा को परिभाषित किया जो आपकी तमन्ना है हिन्दुस्तानी होने के नाते यही हम सब की भी चाहत है की हिंदी भाषा को उसका अपना एक स्थान मिले वो खूब फले फुले | सुन्दर रचना |
ReplyDeleteहिंदी में लेखन ने मुझे देश के अनमोल रत्नों से मिलाया है ! हम देश को एक सूत्र में बाँधने वाली हिंदी भाषा के आभारी हैं !
ReplyDeleteहिंदी दिवस-१४ सितम्बर, संस्कृत दिवस-४ सितम्बर
Zeal
बहुत ही सटीक रचना, बेहतरीन प्रस्तुति, शुभकामनायें !
ReplyDeleteहिंदी की व्यथा को बहुत सटीकता से उकेरा है..बहुत सार्थक और सुन्दर प्रस्तुति..
ReplyDeleteहिंदी भारतवर्ष में ,पाय मातु सम मान
ReplyDeleteयही हमारी अस्मिता और यही पहचान |