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Friday, 14 September 2012

हिन्दी भाषा



कुछ लिखने की चाह में
मैंने कलम उठाई
विविध सोच के बीच
कल्पना को राह दिखाई
सोचा देश का गौरव गान लिखूँ
या फिर भ्रष्टाचार अपार लिखूँ
कुछ समझ न आया
सोच को यही विराम दिया
फिर नए विचारों को आयाम दिया
अब तो मन में विचारों की
 अद्भूत झड़ी थी
कैसे-कैसे विचारों की
अनकही कढ़ी थी
तभी दे्खा सम्मुख मेरे एक परछाई सी खड़ी थी
पौशाक शुद्ध देशी थे,
पैबंध उसमें विदेशी थे
मैंनें पूछा ! कौन हो देवी तुम ममतामयी माँ सी ?
अविरल अश्रु भर आँखो में
वो बोली..!
पुत्री मैं तुम्हारी हिन्दी भाषा हूँ
सुन कर मैं चौंक गई..
राष्ट्रभाषा और ये दशा..?
हाथ पकड़ मैनें उन्हें बिठाया
खुद को उनके चरणों में पाया
सोच ने फिर करवट ली
सोचती रही !
स्वतंत्र तो हम हो गए पर
विचार अ्ब भी गुलाम है
विकास के इस दौर में
हिन्दी पर ही क्यों विराम है
बस सोच को एक दिशा मिल गई
आधार मिल गया,राह मिल गई
अब भाव मेरे बहने लगे
शब्द काग़ज में ढहने लगे
मैं लिखने लगी और लिखती रही
हे जगत जननी मातृ भाषा
ज्ञान गरिमा की भण्डार तुम
आचार व्यवहार की आधार तुम
भाषा जगत की सिरमोर तुम
संस्कृति परम्परा की धरोहर
एकता की हो अविचल धारा
तुम से ही है विस्तार हमारा
मैं लिख रही थी बस लिखती जा रही थी
भाव मेरे अभी रुके नहीं थे
कलम ने इति नही कहे थे
तभी…
अचानक वो उठ खड़ी हुई..
आँखों में उनके अद्भुत चमक थी
चेहरे में संतोष और शान्ति  की झलक थी
वे बोली…
प्रयास करो,ऐसे ही प्रयास करती रहो
मैं फिर आऊँगी
ज्ञान गंगा बरसाऊँगी
कह अंतर्ध्यान हो गई
लेखनी मेरी वही थम गई
और
 जब मेरी तंद्रा  टूटी
मैनें देखा ! हाथ मेरे जुड़े हुए थे
होठ मेरे खुले हुए थे
मैं बोल रही थी…
हे विद्या बुद्धि दायिनी माँ
मेरी लेखनी में समा जाओ
मेरे विचारों को राह दिखाओ
आजीवन मैं तुम्हारी सेवा करना चाहती हूँ
मेरे भावों में बस जाओ माँ
तुम्हें मेरा शत-शत प्रणाम
*************************
हिन्दी दिवस की शुभकामनाएँ!


महेश्वरी कनेरी

31 comments:

  1. बहुत अच्छा लिखी हैं आंटी

    हिन्दी दिवस की हार्दिक शुभ कामनाएँ!


    सादर

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  2. बहुत सुन्दर भाव.....
    हिंदी दिवस के लिए एक दम सटीक...
    हिन्दी दिवस की शुभकामनाएँ!
    सादर

    अनु

    ReplyDelete
  3. हिन्दीदिवस की हार्दिक शुभकामनाएँ!
    आपका इस प्रविष्टी की चर्चा कल शनिवार (15-09-2012) के चर्चा मंच पर भी होगी!
    सूचनार्थ!

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  4. अन्धकार में उजाले सी हिंदी ...

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  5. हिंदी के विराट दर्शन आपने करा दिए. रचना बहुत सशक्त बनी है. हिंदी दिवस की शुभकमनाएँ.

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  6. सशक्त रचना... हिन्दी दिवस की शुभकामनाएँ..

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  7. बहुत सुंदर पंक्तियाँ.हिन्दी दिवस की शुभकामनाएँ..

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  8. जय जय हिंदी लिख गई, माँ चरणों में बैठ ।

    सुलगे चूल्हा, कोयला, बेढब ली'डर ऐंठ ।

    बेढब ली'डर ऐंठ, नहीं गाई मंहगाई ।

    जल डीजल जलजला, सिलिंडर आग लगाईं ।

    कार्टून की गूँज, आस्था की हो चिंदी ।

    नहीं कहूँ कुछ और, जोर से जय जय हिंदी ।।

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  9. भाव विभोर कराती रचना शत शत नमन
    हिन्दी दिवस की शुभकामनाएँ

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  10. अद्भुत भाव... हिंदी दिवस की शुभकमनाएँ...

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  11. बहुत सुन्दर और बेहतरीन रचना...
    बहुत सुन्दर....
    हिंदी दिवस की शुभकामनाएँ
    :-)

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  12. शब्द शब्द में खुद को ही देख रही थी

    हिंदी दिवस की शुभकामनाएँ

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  13. वाह !! शानदार और सशक्त रचना...बहुत पसंद आई|

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  14. बहुत सुंदर रचना



    मैं लिख रही थी बस लिखती जा रही थी
    भाव मेरे अभी रुके नहीं थे
    कलम ने इति नही कहे थे
    तभी…
    अचानक वो उठ खड़ी हुई..
    आँखों में उनके अद्भुत चमक थी
    चेहरे में संतोष और शान्ति की झलक थी


    बहुत सुंदर

    ReplyDelete
  15. बहुत सुंदर...हिंदी दिवस की शुभकामनाएँ

    ReplyDelete
  16. हिन्दीदिवस की शुभकामनायें..

    ReplyDelete

  17. बहुत सुंदर........बहुत ही सटीक रचना .........हिंदी दिवस की शुभकामनाएँ

    ReplyDelete
  18. मेरे भावों में बस जाओ माँ
    तुम्हें मेरा शत-शत प्रणाम......wah,bahot khoobsurat.

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  19. बहुत खूबसूरती से आपने अपनी भावनाओं को लिखा है .... सुंदर प्रस्तुति ...

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  20. सशक्त समसामयिक भाव...... शुभकामनायें

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  21. बहुत सुन्दर कामना ,अवश्य पूरी होगी !

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  22. सुन्दर ..सशक्त रचना

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  23. कह सकती भाषा तो शायद यही कहती !
    शुभकामनायें !

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  24. हिंदी अपने इस विराट रूप को पुन्ह प्रापर करे ... ऐसी आशा है मन में ...
    सुन्दर भाव मय रचना ..

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  25. बहुत खूबसूरती से हिंदी भाषा को परिभाषित किया जो आपकी तमन्ना है हिन्दुस्तानी होने के नाते यही हम सब की भी चाहत है की हिंदी भाषा को उसका अपना एक स्थान मिले वो खूब फले फुले | सुन्दर रचना |

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  26. हिंदी में लेखन ने मुझे देश के अनमोल रत्नों से मिलाया है ! हम देश को एक सूत्र में बाँधने वाली हिंदी भाषा के आभारी हैं !

    हिंदी दिवस-१४ सितम्बर, संस्कृत दिवस-४ सितम्बर

    Zeal

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  27. बहुत ही सटीक रचना, बेहतरीन प्रस्तुति, शुभकामनायें !

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  28. हिंदी की व्यथा को बहुत सटीकता से उकेरा है..बहुत सार्थक और सुन्दर प्रस्तुति..

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  29. हिंदी भारतवर्ष में ,पाय मातु सम मान
    यही हमारी अस्मिता और यही पहचान |

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