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Monday 26 March 2012

तस्वीरे भी बोलतीं हैं



मैंने अपने ब्लांगर भाई बहनों के ब्लांग में ‘हाइगा, हाइकु’ जैसे नए प्रयोगों को देखा , मुझे बहुत अच्छा लगा । उन्हीं से प्रेरित हो कर मैंने भी एक छोटी सी कोशिश की है उम्मीद है आप पसंद करेंगे। 







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महेश्वरी कनेरी



36 comments:

  1. ओह..
    अब लिखना क्या
    सब कुछ तो कह दिया आपने

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  2. वाह ... बहुत खूब ।

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  3. बहुत सुन्दर महेश्वरी जी...

    आपके नन्ही नन्ही रचनाएँ इन चित्रों के साथ तो और भी असरदार मालुम होती हैं...
    आपकी कोशिश नाकाम कैसे होती भला :-)
    सादर
    अनु

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  4. chitron ke sath aapne nyaay kiya hai unhi ke anuroop yeh prayaas sarahniye.

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  5. भाव चित्र वैचित्र्य हैं, अब्धिसार से शब्द ।

    आम खास पर एक सा, बरसे पावन अब्द ।।

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  6. सारे एक-से-एक! बहुत ही सार्थक प्रस्तुति
    सादर

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  7. हर बोलती तस्वीर कुछ ख़ास है

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  8. जी हाँ इन नन्ही नन्ही कविताओं के साथ तस्वीरें भी बोल रही हैं यहाँ ... सार्थक अभिव्यक्ति के लिए आभार आपका

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  9. हर तस्वीर बोलती सी प्रतीत होती है ..........

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  10. kuch tasvire bolti hai kuch shabd bolte hai --------bahut sundar prastuti

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  11. इन तस्वीरों ने आपके शब्दों को और सार्थक बना दिया...सराहनीय प्रयास|

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  12. तस्वीरें भावाभिव्यक्ति को जीवंत कर देती हैं. बहुत सुंदर.

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  13. हां जी, ये सारी तस्वीरें बहुत कुछ बोलती हैं, और आपने जो बोल लगाए हैं तस्वीरों पर सीधे दिल पर असर करते हैं।

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  14. तस्वीरें भी बोलती हैं,
    राज दिल के खोलती हैं,
    कुछ तो रहती शांत तट सी,
    कुछ लहर सी डोलती हैं.

    मनभावन प्रयोगवाद, बधाई.............

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  15. सच में हर तस्वीर कुछ बोलती है..सुंदर प्रयोग

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  16. तस्वीरें और काव्य रचनाएं सभी मनभावन

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  17. bahut sundar her tasvir me ek dard bhari kahani hai

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  18. बहुत खूब आंटी!....बहुत अच्छा लगा


    सादर

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  19. लाजवाब पोस्ट, हार्दिक बधाई

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  20. अति सुन्दर प्रयोग है पर सन्देश मर्मघाती..

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  21. सन्देश और चित्र दोनों ही बहुत मर्मस्पर्शी और एक दूसरे के पूरक..बहुत सुंदर प्रस्तुति...

    http://aadhyatmikyatra.blogspot.in/

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  22. कल 28/03/2012 को आपकी यह पोस्ट नयी पुरानी हलचल पर लिंक की जा रही हैं.

    आपके सुझावों का स्वागत है .धन्यवाद!


    ... मधुर- मधुर मेरे दीपक जल ...

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  23. फिर वो ही शाम ,तनहा कुछ-कुछ उदास ,

    रोज़ कुछ न कुछ खोने का एहसास .

    हम मंजिल के मोड़ पे आके .

    रुके से हैं ,

    मत समझना हम थके हुए से हैं .

    सम्पूर्ण बिम्ब हैं /मन के कुन्हासे ही नहीं इरादे भी हैं पक्के .......

    बस कुछ लोगों को और साथ ले लें ,फिर चलतें हैं .

    एहसासे ज़िन्दगी ही क्या हाइकु है सचित्र .

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  24. सफल प्रयास, स्पष्ट संदेश।

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  25. ....टिपण्णी क्या ? सब कुछ तो साथियों ने लिख दिया, बस मै उन्ही सबका समर्थन करता हूँ. आभार !!

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  26. बहुत सुंदर चित्रों के साथ बहुत सुंदर संवेदनशील भाव समेटे हैं!

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  27. बहुत ही सार्थक लिखा है ... चित्र के साथ हूबहू बहता हुवा ...
    लाजवाब ...

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  28. वाह ...बहुत सुंदर .... बहुत संवेदनशील रचनाएँ

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  29. बहुत सुन्दर ...कई हाइकु के प्रयोग देखे थे ...लेकिन अब तक कोई गले नहीं उतरा था ...पहली बार समझ में आया ...छू गया ...बहुत ही सुन्दर और सफल प्रयास !!!

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  30. दीदी ये बात अच्छी लगी वरना हाइकु तो एकदम समझ में नहीं आता मुझे ...तस्वीरें तो वैसे ही बोलती हैं आपने उन्हें और जुबान दे दी !!

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  31. samvedansheel haen sabhi tasveeren .aabhar,in tak pahuchane ke liye.

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  32. सचमुच बोलती हैं तस्वीरें....

    सादर।

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  33. मैं अपने सभी मित्र जनो का आभार प्रकट करती हूँ.जिन्होने समय-समय पर मुझे हौसला दिया..

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  34. बेहद सटीक और खूबसूरती से लिखा गया हर शब्द ...

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  35. हाइगा-से अर्थपूर्ण और चित्रमय क्षणिकाएं. सभी बहुत अच्छी लगी, सफल प्रयोग, बधाई.

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  36. चित्रमय क्षणिकाएं
    पिछले कुछ दिनों से अधिक व्यस्त रहा इसलिए आपके ब्लॉग पर आने में देरी के लिए क्षमा चाहता हूँ...

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