ऋतुराज बसंत
लो ऋतुराज बसंत फिर आए
सजधज धरती पर छाए ।
हर्षित धरती पुलकित उपवन
सुगंध बिखेरे पवन इठलाए
शाखों ने फ़िर ओढ़ी चुनरी
झूम-झूम कर राग सुनाए
लो ऋतुराज बसंत फिर आए……
कोंपल खिले फूल मुस्काये
हुआ फिर नवजीवन दर्शन।
पीली-पीली चादर ओढ़े
खेत सरसों के फिर लहराये
लो ऋतुराज बसंत फिर आए……
हुआ श्रृंगार अब धरती का
ली भोर ने फिर अंगडा़ई ।
स्वागत-स्वागत बसंत तुम्हारा
डाल- डाल पर पंछी गाए
लो ऋतुराज बसंत फिर आए……….
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ब्लांग जगत में ये मेरी पहली पोस्ट थी , जिसे मैंने ४अप्रेल२०११ में डाली थी । उस वक्त मैं आप सब के लिए अपरिचित थी किन्तु आज लोगों के प्यार स्नेह और प्रेरणा ने मुझे यहाँ तक पहुँचा दिया । आप सब की आभारी हूँ कि आज मेरे चाहने वालो की संख्या १०१ तक पहुँच गई है। ये निश्चित ही मेरे लिये बहुत ही गर्व की बात है । मै आशा करती हूँ कि आप सब का स्नेह और प्यार मुझे ऐसे ही मिलता रहे..धन्यवाद..
बसंत ऋतु की आप सब को हार्दिक शुभकामनाएँ
महेश्वरी कनेरी
महेश्वरी जी ...इस रचना के लिए हार्दिक बधाई ...बहुत सुंदर लिखा है ...
ReplyDeleteशुभकामनायें आपका लेखन दिन-ब-दिन तरक्की करे ....!!
बहुत सुन्दर रचना...
ReplyDeleteमहेश्वरी जी आपको भी वसंतोत्सव की अनेकों शुभकामनाये..
माँ सरस्वती की कृपा से आपकी लेखनी चिरायु हो...
सादर.
बहुत सुन्दर रचना है
ReplyDeleteवसंत पंचमी की शुभ कामनाएँ ....
खुबसूरत रचना अभिवयक्ति......... हार्दिक बधाई ...
ReplyDeleteउम्दा प्रस्तुति…………बसंत पंचमी की हार्दिक शुभकामनाएँ
ReplyDeleteबहुत खूबसूरत रचना ..बसंत की शुभकामनायें
ReplyDeleteबहुत ही अच्छी प्रस्तुति ...बसंत पंचमी की शुभकामनाएं ।
ReplyDeleteबहुत सुन्दर,सार्थक प्रस्तुति।
ReplyDeleteऋतुराज वसंत पंचमी की हार्दिक शुभकामनाएँ।
सुन्दर रचना पढवाने के लिए धन्यवाद . आपको भी सपरिवार बसंतपंचमी की शुभकामनाये.
ReplyDeleteबहुत सुन्दर रचना...बसन्त पंचमी की हार्दिक शुभकामनायें !
ReplyDeleteअत्यन्त सुन्दर और मोहक कविता..
ReplyDeleteफिर सरसों फिर कोयल फिर आम के बौर - ऋतुराज बसंत के आने की ख़ुशी में ...
ReplyDeleteलो फिर बसंत आया
ReplyDeleteफूलो पे रंग छाया
पेड़ो पे टेसू आया
लो फिर बसंत आया...!waah ....
बंसतोत्सव की अनंत शुभकामनाऍं
ReplyDeletebahut pyaari vasanti chhata bikherti kavita.vasant ritu ki shubhkamnayen.
ReplyDeleteबहुत सुन्दर।
ReplyDeleteआज सरस्वती पूजा निराला जयन्ती
और नज़ीर अकबारबादी का भी जन्मदिवस है।
बसन्त पञ्चमी की हार्दिक शुभकामनाएँ!
बसंत ऋतु के स्वागत में मनमोहक कविता...
ReplyDeleteबसन्त पञ्चमी की हार्दिक शुभकामनाएँ!
एक बसंत के कितने सारे रंग... बहुत सुन्दर
ReplyDeleteआपको वसंत पंचमी की ढेरों शुभकामनाएं!
This comment has been removed by the author.
Deleteसचमुच बसंत का आगमन हो चूका है. प्रकृति का सुन्दर रूप निखर आया है. कोयल की कूक भी सुने देनी ही है...... बसंत पर आपकी इस सारगर्भित रचना के लिए बहुत आभार.
Deleteबसंत पंचमी की शुभकानाएं
ReplyDeleteब्लाग जगत के सभी साथियों को
ReplyDeleteवसंत पंचमी की हार्दिक बधाइयाँ !!
1 ब्लॉग सबका
सुंदर सार्थक अभिव्यक्ति बहुत अच्छी रचना,..
ReplyDeleteबसंत पंचमी की शुभकामनाए ,....
--26 जनवरी आया है....
बसंत पंचमी की शुभकामनाएं!
ReplyDeletebasant par e sundar rachnaa
ReplyDeleteशानदार प्रस्तुति ..आभार
Deleteऋतुराज बसंत का स्वागत करता सुंदर गीत।
ReplyDeleteआपकी उत्कृष्ट प्रस्तुति
ReplyDeleteआज चर्चा मंच पर देखी |
बहुत बहुत बधाई ||
हुआ श्रृंगार अब धरती का
ReplyDeleteली भोर ने फिर अंगडा़ई ।
स्वागत-स्वागत बसंत तुम्हारा
डाल- डाल पर पंछी गाए
बहुत सुंदर वासंतिक भाव... हार्दिक शुभकामनायें
बहुत सुंदर कविता. बसंत ऋतु की हार्दिक शुभकामनाएँ.
ReplyDeleteअच्छी रचना
ReplyDeleteबहुत सुंदर
निश्चित ही मेरे लिये बहुत ही गर्भ की बात है ।
ReplyDeleteकृपया 'गर्व 'करलें ऊपर की पंक्ति में चूक हो जाती है कलम से .
बसंत का कुदरती चित्रण आँखों देखा हाल सा .
आपकी पोस्ट आज की ब्लोगर्स मीट वीकली (२८) मैं शामिल की गई है /आप आइये और अपने सन्देश देकर हमारा उत्साह बढाइये /आप हिंदी की सेवा इसी मेहनत और लगन से करते रहें यही कामना है /आभार /
ReplyDeletevah rituraj ka swagat man ko moh liya. sundar rachna man ko chu gaya
ReplyDeleteसुन्दर रचना.
ReplyDeleteबसंत ऋतु की हार्दिक शुभकामनाएँ.
बहुत ख़ूबसूरत रचना! बेहद पसंद आया!
ReplyDeleteहर्षित धरती पुलकित उपवन
ReplyDeleteसुगंध बिखेरे पवन इठलाए
शाखों ने फ़िर ओढ़ी चुनरी
झूम-झूम कर राग सुनाए
बहुत सुंदर पंक्तियाँ!
bahut sundar rachna
ReplyDeleteबहुत सुंदर प्रस्तुति बहुत अच्छी लगी.,
ReplyDeletewelcome to new post --काव्यान्जलि--हमको भी तडपाओगे....
पीली-पीली चादर ओढ़े
ReplyDeleteखेत सरसों के फिर लहराये.बहुत सुंदर.
बहुत सुन्दर रचना...बसन्त पंचमी की हार्दिक शुभकामनायें !
ReplyDeletesundar prastuti :)
ReplyDeleteआज भी इसमें वाही रवानगी वाही ताजगी और सौन्दर्य है प्रकृति नटी का .
ReplyDeleteritu raj vasant ka swagat bahut bahut shaandaar tareeke se aapne apne shabdo ke dwara kiya hai.sach me prakritik soundry hi umda sa lagta hai.
ReplyDeletehardik badhai
poonam
बेहतरीन रचना,लाजबाब प्रस्तुतीकरण,
ReplyDeletemy new post...40,वीं वैवाहिक वर्षगाँठ-पर...
pichhle vasant ritu kee aagwaani mein blog par aapki pratham rachna ke liye badhai. aapka blog aur aapki lekhni bhi vasant ritu ki tarah khilkhilaaye, bahut shubhkaamnaayen.
ReplyDeleteसुन्दर एवं सराहनीय प्रस्तुति.....
ReplyDeleteकृपया इसे भी पढ़े
नेता,कुत्ता और वेश्या
.
ReplyDeleteआहाऽऽह !
बहुत ख़ूबसूरत बासंती रचना है !
एक बार फिर से इस रचना का आनंद बांटने के लिए आभार !
शुभकामनाओं सहित…