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Friday, 5 August 2011

…ये कैसा बदलाव…?


ये कैसा बदलाव…?

धरती वही आसमां वही , चाँद वही सूरज वही
सब कुछ वही बस,जीवन बदल रहा है ।

घर वही परिवार वही, रिश्ते वही नाते वही
सब कुछ वही बस,फ़र्ज बदल रहा है ।

आस वही परिहास वही ,भूख वही प्यास वही,
सब कुछ वही बस,ज़रुरतें बदल रही  हैं।

मंदिर वही मस्जि़द वही, ईश्वर वही भाक्ति वही
सब कुछ वही बस, आस्था बदल रही हैं।
उत्साह वही जोश वही ,हिम्मत वही संघर्ष वही,
सब कुछ वही बस,मकसद बदल रहे हैं।

 सपने वही चाहत वही, जूनुन वही मंजिल वही,
सब कुछ वही बस,रास्ते बदल रहे हैं।

धर्म वही जाति वही ,देश वही इंसान वही,
सब कुछ वही बस इंसानियत बदल रही  है



***************

42 comments:

  1. wakai...sach hi likha hai aapne...
    kuchh to badal hi raha hai ...

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  2. आपकी किसी पोस्ट की हलचल है ६-८-११ शनिवार को नयी-पुरानी हलचल पर ..कृपया अवश्य पधारें..!!

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  3. हर दिन, हर पल बदलाव से सामना होते रहना है.
    सब कुछ बदल रहा है.

    रमानाथ अवस्थी जी ने लिखा है:

    "आज आप हैं ,हम हैं लेकिन
    कल कहां होंगे ,कह नहीं सकते
    जिंदगी ऐसी नदी है जिसमें
    देर तक साथ बह नहीं सकते।"

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  4. जिंदगी की पल पल बदलती छटा उकेरती खूबसूरत अभिव्यक्ति. आभार.
    सादर,
    डोरोथी.

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  5. बदलाव की आँधी है.. बह जाने दीजिए..

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  6. धर्म वही जाति वही ,देश वही इंसान वही,
    सब कुछ वही बस इंसानियत बदल रही है ।

    इंसानियत सही मे बदल रही है पर अफसोस इस बदलाव मे इंसानियत अपनी असली नीयत को भूलती जा रही है।

    सादर

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  7. सपने वही चाहत वही, जूनुन वही मंजिल वही,
    सब कुछ वही बस,रास्ते बदल रहे हैं।...बहुत अपनी सी लगी रचना....

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  8. धर्म वही जाति वही ,देश वही इंसान वही,
    सब कुछ वही बस इंसानियत बदल रही है ।

    बहुत बढ़िया लिखा है...

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  9. एक बेहतर संदेश देती हुई रचना,जो लोगों को बहुत कुछ सोचने पर मजबूर करती है।

    मंदिर वही मस्जि़द वही, ईश्वर वही भाक्ति वही
    सब कुछ वही बस, आस्था बदल रही हैं।

    बहुत सुंदर

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  10. आज के वक़्त में रिश्ते...परिवार....मर्यादा ....सच में सब वही है
    पर फिर भी सब कुछ बदला बदला सा है ....आभासी दुनिया कि मार हर किसी पर पड़ रही है ..........आभार

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  11. स्थिर में चलायमान दिख जाये, सध जाये, वही बहुत है।

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  12. वाह ....बहुत ही अच्‍छी प्रस्‍तुति ।

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  13. सही है,
    सब बदल रहा है ||

    रिश्तों को कडुए - तेल में तलकर |
    जीवन को दूसरे के रंग में ढलकर |

    फर्ज को पुरानी लीक से हट कर |
    जरुरत को ओवर-टाइम खट - कर |

    आस्था को लालच में पड़कर |
    मकसद को असफलता से डर कर ||

    रस्ते बदलते शार्ट-कट से
    इंसानियत बदले बुरी लत से,
    घटिया सोच और हट से ||

    बहुत-बहुत बधाई ||

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  14. सच्चाई बयां करती बेहतरीन प्रस्तुति।

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  15. बेहतर संदेश देती हुई रचना,

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  16. समय के साथ समाज के मूल्य बदलते ही आए हैं

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  17. सटीक प्रस्तुति ... मन बदल रहा है ...

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  18. सुन्दर भाव/ बेहतरीन प्रस्तुति

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  19. सपने वही चाहत वही, जूनुन वही मंजिल वही,
    सब कुछ वही बस,रास्ते बदल रहे हैं।

    बहुत सुंदर.... गहन अभिव्यक्ति लिए प्रासंगिक पंक्तियाँ

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  20. परिवर्तन प्रकृति का नियम है परन्तु परिवर्तन सही दिशा में होना चाहिए.
    वर्तमान बदलाव पर आपकी चिंता स्वाभाविक है.

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  21. "सपने वही चाहत वही, जूनुन वही मंजिल वही,
    सब कुछ वही बस,रास्ते बदल रहे हैं।

    धर्म वही जाति वही ,देश वही इंसान वही,
    सब कुछ वही बस इंसानियत बदल रही है"

    समाज में आते आते बदलाब को आपने शब्दों से जो चिंता व्यक्त की वह आपकी सकारात्मक सोच का परिचायक है.

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  22. हाँ सब कुछ बदल रहा है संक्रमण के इस दौर में आदमी का खून भी हिमोग्लोबीन भी -सहज अभिव्यक्ति की सौदेश्य रचना अपने कलेवर में तमाम तरह के बदलावों को छलकाती चलती है मंथर गति से आगे और आगे ....
    मंदिर वही मस्जि़द वही, ईश्वर वही भाक्ति वही
    सब कुछ वही बस, आस्था बदल रही हैं।
    उत्साह वही जोश वही ,हिम्मत वही संघर्ष वही,
    सब कुछ वही बस,मकसद बदल रहे हैं।
    कृपया यहाँ भी दस्तक दें -यारों सूरत हमारी पे मत जाओ -
    http://kabirakhadabazarmein.blogspot.com/ और यहाँ भी -
    http://veerubhai1947.blogspot.com/ /
    शुक्रवार, ५ अगस्त २०११
    Erectile dysfunction? Try losing weight Health
    ...क्‍या भारतीयों तक पहुच सकेगी यह नई चेतना ?
    Posted by veerubhai on Monday, August 8
    Labels: -वीरेंद्र शर्मा(वीरुभाई), Bio Cremation, जैव शवदाह, पर्यावरण चेतना, बायो-क्रेमेशन /http://sb.samwaad.com/

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  23. बहुत अच्‍छी प्रस्‍तुति .........

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  24. हाँ बस इंसानियत की ही कमी रह गयी है इंसान में.. और शायद यह कमी हमेशा के लिए ही रहेगी..
    बेहतरीन कृति..

    आभार

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  25. बहुत सार्थक और अच्छी सोच ....सुन्दर कविता ......

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  26. उत्साह वही जोश वही ,हिम्मत वही संघर्ष वही,
    सब कुछ वही बस,मकसद बदल रहे हैं..

    Only thing which is constant is change . We cannot help it . Unfortunately most of the changes are negative , yet we can keep our hope alive.

    .

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  27. बहुत कुछ बदल रहा है , सही है !

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  28. माहेश्वरी जी ,सिर्फ परिवर्तन ही तो शाश्वत है ,प्रकृति भी छीज रही है इंसानियत की क्या औकात जो अपनी छीज़न बचा जाए .
    http://sb.samwaad.com/
    ...क्‍या भारतीयों तक पहुंच सकेगी जैव शव-दाह की यह नवीन चेतना ?
    Posted by veerubhai on Monday, August ८
    बहुत अच्छा काम कर रहीं है आप .बधाई .

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  29. मंदिर वही मस्जि़द वही, ईश्वर वही भाक्ति वही
    सब कुछ वही बस, आस्था बदल रही हैं।
    उत्साह वही जोश वही ,हिम्मत वही संघर्ष वही,
    सब कुछ वही बस,मकसद बदल रहे हैं।
    सुन्दर और सटीक पंक्तियाँ! सच्चाई को आपने बड़े ही सुन्दरता से शब्दों में पिरोया है! बेहद ख़ूबसूरत रचना!

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  30. समय के साथ बहुत कुछ बदलना है ....
    शुभकामनायें आपको !

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  31. धीरे धीरे कब बदलाव आता है पता ही नहीं चलता |बहुत भावपूर्ण रचना |
    बधाई

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  32. बिलकुल सही ....सच्चाई को बड़ी खूबसूरती से अभिव्यक्त किया है आपने

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  33. aap aai to mujhe yakin hi nahi ho raha tha ,lekin khushi behad hui ,isi bhav ko lekar main bhi likhi thi aur aapki sundar rachna ne meri rachna ki yaad dila di .
    मंदिर वही मस्जि़द वही, ईश्वर वही भाक्ति वही
    सब कुछ वही बस, आस्था बदल रही हैं।
    उत्साह वही जोश वही ,हिम्मत वही संघर्ष वही,
    सब कुछ वही बस,मकसद बदल रहे हैं।
    sach kaha dekh tere insaan ki haalat kya ho gayi bhagvaan ,kitna badal gaya insaan .

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  34. इन्सानियत तो कब की बदल चुकी है.. बँटवारे ने इन्सानियत का एक रूप दिखाया ही है..

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  35. आदरणीया दीदी माहेश्वरी कानेरी जी
    सादर प्रणाम !

    आज आपके ब्लॉग पर छूटी हुई प्रविष्टियां भी पढ़ी , इस कविता के साथ …पिछली पोस्ट पढ़ कर मन भर आया … लेता है ईश्वर परीक्षा कई बार ! … … …

    प्रस्तुत कविता भी प्रभावशाली है
    धरती वही आसमां वही , चाँद वही सूरज वही
    सब कुछ वही बस,जीवन बदल रहा है ।

    परिवर्तन मानवता के हित में हो … बस !

    सुंदर भावों की प्रस्तुति के लिए हार्दिक बधाई और मंगलकामनाएं !



    रक्षाबंधन एवं स्वतंत्रता दिवस की हार्दिक शुभकामनाओ के साथ

    -राजेन्द्र स्वर्णकार

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  36. सशक्त अभिव्यक्ति है .अच्छा लगता है आपको पढ़ना .

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  37. बहुत खूब ..अच्छी प्रस्तुति

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  38. घर वही परिवार वही, रिश्ते वही नाते वही
    सब कुछ वही बस,फ़र्ज बदल रहा है ।

    ....लाज़वाब...आज के कटु सत्य की बहुत भावपूर्ण अभिव्यक्ति..

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  39. दरअसल ज़िन्दगी के मायने और ज़ज्बात ,अंदाज़े ज़िन्दगी ,सब कुछ बदल गया है , भाव -विरेचक का काम करती हुई .सहभावितरचना .
    कृपया यहाँ भी आपकी मौजूदगी अपेक्षित है -http://kabirakhadabazarmein.blogspot.com/2011/08/blog-post_9034.हटमल
    Friday, August 12, 2011
    रजोनिवृत्ती में बे -असर सिद्ध हुई है सोया प्रोटीन .

    http://veerubhai1947.blogspot.com/जिंदगी भर जीवन में महकती है दोस्ती,
    बृहस्पतिवार, ११ अगस्त २०११
    Early morning smokers have higher cancer रिस्क.

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  40. सच कहा ... सब कुछ वही है पर इंसान की भूख बढ़ गयी ही ... स्वार्थ बढ़ गया है ... अच्छी रचना है बहुत ही ...

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  41. Change is not always good, we need to adopt and verify it.
    But yes its very fast changing world..I hope core value would not change at-least.

    ReplyDelete