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Saturday 4 June 2011

ग्यारहवा पोस्ट… आभार


आप सभी का आभार  
हमारे यहाँ  ग्यारह नम्बर को शुभ तथा गतिमान कहा जाता है……और् यह बताते हुए मुझे बहुत खुशी हो रही है कि यह मेरा ग्यारहवा पोस्ट है। जो आप सभी के प्यार और शुभकामनाओ का प्रतिफल है ।जिसे मैं आभार के रुप में आप सभी भाई ,बहनों और प्यारे प्यारे बच्चों को समर्पित करना चाहती हूँ ।
खुद को खुद में ढ़ूँढा
उदास, सूनापन मिला..
खुद को बाहर भीड़ में ढ़ूँढा
अजनवी अकेलापन मिला..
जब खुद को ब्लांगर
की दुनिया में देखा, जैसे
सारा जहाँ मिल गया
एक नयी पहचान मिली
जीने का बहाना मिल गया
 ये कहानी  शुरु होती है ,पैतीस साल अध्यापन कार्य करने के बाद ,२००९ में जब मैं सेवानिवृत हुई। मुझे लगा ,मेरा जीवन कहीं रुक सा गया है ,मैं जैसे गति हीन होगई हूँ। मेरे पास करने को कुछ नया नहीं था । मुझे लगता था मैं अपनी पहचान खोने लगी हूँ । यही सब सोच- सोच मुझे डिप्रेशन सा होने लगा था।
तभी अचानक एक दिन गुगुल सर्च करते- करते एक हिन्दी ब्लांग में जा पहुँची । मुझे मालूम था कि कुछ लोग ब्लांग लिखा करते हैं, पर इस के बारे में कोई अधिक जानकारी नहीं थी । मुझे लगा… बस मुझे रास्ता मिल गया मुझे मेरी मंजिल मिल गई ।  
फिर डरते-डरते मैंने दिनांक ४.अप्रेल २०११ को अपना एक ब्लांग खोल ही दिया।सब् से पहले माँ सरस्वती का एक सुन्दर सा चित्र लगा कर मैंने प्रथम पोस्ट का श्रीगणेश  किया ।उसी दिन फिर एक लघु कविता ऋतुराज बसन्त” की दूसरी पोस्ट भी पब्लिश कर दी। ब्लांग का ये अनुभव मेरे लिए जितना रोमांचकारी था उतना ही अनजाना और अनविग्य भी ।
दो दिन बाद दिनांक ६अप्रेल २०११ को सबसे पहली टिप्पणी निशान्त मिश्रा जी द्वारा मिली ।जो मेरे लिये प्रेरणा का बहुत बड़ा श्रोत बन गया। दूसरी टिप्पणी दिनांक ८अप्रेल २०११को राजेन्द्र स्वर्णकार जी द्वारा मिली । ये दोनों ही टिप्पणियाँ मेरे लिए प्रसाद स्वरुप थीं । 
इन्हीं दो टिप्पणियों के माध्यम से मैं इनके ब्लांग में,और इनके ब्लांग से अन्य सथियों के ब्लांग का भ्रमण करने लगी । भ्रमण करते हुए मुझे बहुत सी नयी नयी जानकारियाँ मिलती रही और मैं आप सभी के स्नेह और प्यार का दामन पकड़े आगे बढ़ती रही ।आज दस प्रविष्ठियों में ८५  टिप्पणियाँ हैं, जो मेरे पोस्ट की शोभा ही नहीं, बल्कि मेरी हिम्मत और हौसला भी बढ़ा रही हैं ।
    मैं बहुत से भाई बहनों तथा बच्चों के ब्लांग्स को फौलो करती हूँ ।लेख ,संस्मरण, कविताएँ, गीत ,गज़ल, हास्य-व्यंग और बच्चों की मीठी-मीठी बातों के बीच जब मैं अपने को पाती हूँ तो लगता है,जीवन सार्थक होगया ।
    ये सफर कितना और कब तक चलता रहेगा ये वक्त ही बताएगा ,किन्तु आप सभी का सुझाव, स्नेह और शुभकामनाओ की मुझे हमेशा आवश्यकता रहेगी …….एक बार फिर धन्यवाद………………  


20 comments:

  1. आपके ब्लॉग सफर के लिये बहुत बहुत शुभकामनायें, जारी रहे आपका सफर,
    विवेक जैन vivj2000.blogspot.com

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  2. बिकुल सही बात कही आपने ब्लोगिंग की दुनिया में एक अजीब अपनापन सा भी मिलता है.दूर दूर से कितने ही लोग जिन्हें हम यूँ जानते भी नहीं हैं जब एक दूसरे को पढते हैं और समझने की कोशिश करते हैं तो वो एक अलग ही अहसास होता है.
    ग्यारहवीं पोस्ट के लिये बहुत बहुत बधाई और शुभकामनाएँ के साथ मैं आशा करता हूँ कि आपकी अनेकों बेहतरीन पोस्ट्स हम सबको आगे पढ़ने को मिलती रहेंगी.

    सादर

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  3. आपकी शुरुआत बहुत अच्छी रही ... आप यूँ ही निरंतर लिखती रहें .. हमें भी बहुत कुछ सीखने और पढने को मिलता रहेगा ...आभार

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  4. बहुत अच्छा है शुरुआत का सफ़र ....... .... सतत लेखन की शुभकामनायें

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  5. बहुत-बहुत बधाई और आपका आभार. अभी तो यह छोटी सी शुरुआत है, आपको तो मीलों आगे चलना है. सीखने की कोई उम्र नहीं होती और कोशिश करते रहने पर सूत्र पकड़ में आने लगते हैं.
    ब्लौग की तकनीक से जुड़े किसी भी विषय पर कभी सहायता की आवश्यकता हो तो अवश्य स्मरण करें.
    समय की कुछ कमी होने के कारण नियमित यहाँ नहीं आ पाता हूँ पर आपकी पिछली पोस्टें अवश्य पढ़ता हूँ.

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  6. शुभकामनायें आपको ...सादर

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  7. आपको शुभकामनाये


    Happy Environmental Day !

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  8. बहुत बहुत स्वागत है आपका ब्लाग जगत में ,मेरे ब्लाग पर एक बार आप आ चुकीं सुन्दर लेखन के लिए बधाई और उज्जवल भविष्य की शुभकामनायें ....

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  9. आप यूँ ही निरंतर लिखती रहें...बहुत बहुत शुभकामनायें!

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  10. आपको बहुत बहुत बधाई ... आशा है आपकी लेखनी ऐसे ही चलती रहेगी ...

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  11. शुभकामनाएं और बधाइयां।

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  12. yu hi likhati rahe bahut shubhakamnayen...

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  13. आपका ब्‍लॉग बहुत अच्‍छा लगा .. नियमित लिखती रहिए .. शुभकामनाएं !!

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  14. आपका आलेख मन को छू गया..कामना है आप यूँ ही लिखती रहें..हार्दिक शुभकामनायें!

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  15. आदरणीया माहेश्वरी कानेरी जी
    सादर प्रणाम !

    आपकी ग्यारहवीं पोस्ट पर मैं पिछले दो-तीन दिन में कई बार आ चुका हूं … लेकिन कमेंट लिखने में , लिख लिया तो प्रकाशित करने में नेट , बिजली के साथ कुछ समस्याएं आती रहीं ।
    पहले तो बहुत बहुत बधाई ! आपकी 111वीं पोस्ट के लिए अभी से शुभकामनाएं - मंगलकामनाएं हैं ! :)

    मुझे आपने मान दिया इसके लिए आभारी हूं ।

    शस्वरं
    पर आपका सदैव हर्दिक स्वागत है
    अवश्य पधारिए …

    - राजेन्द्र स्वर्णकार

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  16. आपकी साफगोई मुझे बहुत पसन्द आयी। ग्यारहवीं पोस्ट से आपकी गत्यात्मकता और बढ़ेगी - यह हार्दिक शुभकामना - सचमुच यह ब्लागिंग की दुनिया बहुत अनोखी है - एक बहुत बड़ा परिवार है - जहाँ कोई अकेला नहीं। - अच्छा लगा आपके ब्लाग पर आकर।
    सादर
    श्यामल सुमन
    09955373288
    www.manoramsuman.blogspot.com

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  17. आदरणीया माहेश्वरी कानेरी जी
    ..... आपकी शुरुआत बहुत अच्छी रही ...आपको बहुत बहुत बधाई ..

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  18. आपने ब्लॉग पर आकार जो प्रोत्साहन दिया है उसके लिए आभारी हूं

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  19. माहेश्वरी कानेरी जी ,
    आप यूँ ही निरंतर लिखती रहें .......11 वीं पोस्ट के लिए आपको बहुत बहुत बधाई ....
    इसी तरह सार्थक लेखन के लिये मेरी हार्दिक शुभकामनायें।

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  20. वाह.. क्या बात है। आपको तो रिटायरमेंट के बाद एक ब्लागर्स का बड़ा परिवार मिल गया। हमलोग सोच रहे हैं कि रिटायरमेंट तक तक ना जाने कितनी और तरक्की हो जाएगी। खैर आपको बहुत बहुत शुभकामनाएं।

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