हे राह बटोही , तू चलता चल |
हे राह बटोही , तू चलता चल
जब तक साँस चले, तू चलता चल
रूप बदल- बदल, जग तूझे भरमाएगा
दृढ्ता का देख तेज़, स्वयं झुक जाएगा
नई उमंग भर मन में ,नई तरंग जगा
छाँट तंद्रा के बादल,फिर कर्म बोध जगा
सुख हो जाए बोना.दुख बन जाए बिछौना
कर लेना संधि उनसे फिर आगे बढ़ना
जीवन का सूनापन ,जब तूझे खलेगा
हर पथ पर तेरे,आशा का दीप जलेगा
टूटे हर विश्वास को, जोड़्ता चल
हे राह बटोही , तू चलता चल
जब तक साँस चले, तू चलता चल
हे राह बटोही , तू चलता चल...
जीवन चलने का नाम है .आते जाते संघर्षों के साथ हमें एक आशा बनाये रखनी चाहिये और अपने उद्देश्यों को पाने का हर संभव यत्न करना चाहिये.
ReplyDeleteबहुत अच्छी कविता लिखी है आपने.
बटोही शब्द से बच्चन जी की एक कविता भी याद आ गयी-''पूर्व चलने के बटोही बात की पहचान कर ले......शायद इंटर में पढ़ी थी.
सादर
प्रेरणादायक सुन्दर रचना .
ReplyDeleteआपने बहुत सुन्दर आह्वान गीत लिखा है!
ReplyDeleteजीवन का सूनापन ,जब तूझे खलेगा
ReplyDeleteहर पथ पर तेरे,आशा का दीप जलेगा
टूटे हर विश्वास को, जोड़्ता चल
हे राह बटोही , तू चलता चल
Sakaratmak Prernadayi bhav.... Bahut Sunder
बहुत सुन्दर प्रेरणादायक गीत है!
ReplyDeleteसादर-
विवेक जैन vivj2000.blogspot.com
आपकी पोस्ट की चर्चा यहाँ भी है .....
ReplyDeleteखास चिट्ठे .. आपके लिए ...
गहन अनुभूतियों की सुन्दर प्रेरणादायक अभिव्यक्ति ... हार्दिक बधाई.
ReplyDeleteपथिक को प्रेरणा और कवि को ऐसे भाव , दोनों मिल जाय तो ऐसी सुँदर सी अभिव्यक्ति का उदभव होता है .
ReplyDeleteबहुत मधुर और प्रेरक गीत है. पढ़कर बहुत अच्छा लगा.
ReplyDeleteवाह!! आनन्द आ गया...बहुत सुन्दर गीत.
ReplyDeleteबहुत सुन्दर सकारात्मक गीत.आपके ब्लॉग की तस्वीर भी बहुत सुन्दर लगी.
ReplyDeleteचर्चा मंच के साप्ताहिक काव्य मंच पर आपकी प्रस्तुति मंगलवार 14 - 06 - 2011
ReplyDeleteको ली गयी है ..नीचे दिए लिंक पर कृपया अपनी प्रतिक्रिया दे कर अपने सुझावों से अवगत कराएँ ...शुक्रिया ..
साप्ताहिक काव्य मंच- ५० ..चर्चामंच
जीवन का सूनापन ,जब तूझे खलेगा
ReplyDeleteहर पथ पर तेरे,आशा का दीप जलेगा
एक सार्थक, सुन्दर व रचनात्मक पोस्ट के लिए आभार. अनेकानेक शुभकामनायें.
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चरैवेति की प्रेरणादेती सुन्दर रचना .
ReplyDeleteकभी न हार बस चलता चल
ReplyDeleteप्रेरित करती कविता
आप भी आइये
आभार
बहुत सकारात्मक सोच...बहुत सुन्दर प्रेरक प्रस्तुति..
ReplyDeleteमधुर गीत प्रेरणा देता हुवा ... लाजवाब ....
ReplyDeleteबहुत सुन्दर, लाजवाब और प्रेरणादायक रचना लिखा है आपने जो काबिले तारीफ़ है! बधाई!
ReplyDeleteजीवन का सूनापन ,जब तूझे खलेगा
ReplyDeleteहर पथ पर तेरे,आशा का दीप जलेगा
agr is sunepan ka sath naa hota tho ....mujhe nahi lagta hai ham 1sath yaha is manch par hote or sath jude hote
bahut accha likha hai aaone man ke bhavo ke...aabhar
जब तक साँस चले
ReplyDeleteचाहे कोई जले --
बिना खले ---
हर पल |
चलता चल ||
चरैवेति-चरैवेति ----
सुन्दर सार्थक सन्देश देती रचना। आशा ही जीवन है। शुभकामनायें।
ReplyDeletebahut hi prerna dayak kavita pesh kari hai aapne.aapko padh kar accha laga.:):)
ReplyDeleteप्रेरणादायक सुन्दर रचना . शुभकामनायें।
ReplyDeletezindgi kee dagar par
ReplyDeletenarantar chalte rehne ka
shubh aahwaan karti
anupam panktiyaaN...
sundar rachnaa !!
वाह ... बहुत खूब, सुन्दर शब्द रचना ।
ReplyDeleteइस प्रेरक रचना के लिए साधुवाद स्वीकारें
ReplyDeleteनीरज
जी आपकी रचनाओं को पढने में साहित्य का अलग स्वाद मिलता है। बहुत सुंदर रचना.. खासतौर पर ये पंक्तियां.. जिसमें कुछ संदेश भी है।
ReplyDeleteजीवन का सूनापन ,जब तूझे खलेगा
हर पथ पर तेरे,आशा का दीप जलेगा
प्रेरक,सुन्दर अभिव्यक्ति ... हार्दिक बधाई
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