गाय माता
(भुजंगप्रयात छन्द )
(भुजंगप्रयात छन्द )
गले से लगा बाँटते प्यार देखा
जुबा मौन है
बोलते भाव देखा
यही भक्ति
आस्था यही धर्म माना
यही प्रीत
प्यारी यही छाँव जाना
बड़े प्यार
से दूध माँ तू पिलाती
तभी गाय माता
सदा तू कहाती
दही दूध तेरा
सभी को लुभावे
अभागा वही
है इसे जो न पावे
नहीं माँगती
सिर्फ देती सभी को
नहीं दर्द
माँ बाँटती है किसी को
झुका शीश आशीष
को माँ दया दे
रहूँ पूजता
माँ सदा ये दुवा दे
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महेश्वरी कनेरी
बहुत सुन्दर,,,,,
ReplyDeleteमाँ से सुन्दर और होगा भी क्या !!
सादर
अनु
सुन्दर रचना
ReplyDeleteबेहद खुबसूरत रचना
ReplyDeleteसचमुच माँ की तरह गाय मानव को पालना देती है..गौ को माता ऐसे ही तो नहीं कहा जाता है...
ReplyDeleteबहुत खुबसूरत रचना !
ReplyDeleteप्रेम !
तुझे मना लूँ प्यार से !
बहुत बहुत आभार आप का...
ReplyDeleteSundar rachna
ReplyDeleteनहीं माँगती सिर्फ देती सभी को
ReplyDeleteनहीं दर्द माँ बाँटती है किसी को
झुका शीश आशीष को माँ दया दे
रहूँ पूजता माँ सदा ये दुवा दे
...बहुत सुन्दर ..
bahut sunder rachna....
ReplyDeleteबहुत ही बढिया .....
ReplyDeleteप्यारी व सुंदर रचना !
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भावपूर्ण ..
ReplyDeleteतभी तो पूजते हैं गाय माता को ...
सुन्दर रचना ! भावपूर्ण
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