मन में उठने वाले हर भाव हर अह्सास को शब्दों में बाँध, उन्हें सार्थक अर्थों में पिरोकर एक नया आयाम देना चाह्ती हूँ । भावनाओ के इस सफर में मुझे कदम-कदम पर सहयोगी मित्रों की आवश्यकता होगी.. आपके हर सुझाव मेरा मार्ग दर्शन करेंगे...
महेश्वरी जी ,यही तो मानव मन है कि उदासी व विसंगतियों से अलग एक शान्त मीठी सी दुनिया बसाना चाहता है । वह अँधेरों से परे चाँदनी में रमना चाहता है यह बात अलग है कि यह चाहत अक्सर पूरी नही होती । ऐसे ही भावों से सजी यह अच्छी कविता है ।
सुंदर प्रस्तुति , आप की ये रचना चर्चामंच के लिए चुनी गई है , सोमवार दिनांक - १३ . ७ . २०१४ को आपकी रचना का लिंक चर्चामंच पर होगा , कृपया पधारें धन्यवाद !
हमेशा खिलखिलाती ही रहियेगा दीदी
ReplyDeleteसादर
अच्छी लगी रचना
येही जीवन है, बस बढ़ते जाना चाहे कोई भी परिस्थिति हो:) बहुत ही सुन्दर अभिव्यक्ति.
ReplyDeleteबहुत ही सुन्दर.... शुभकामनाएं
ReplyDeleteसुंदर भाव..धूप से ढलना और चाँदनी से खिलखिलाना सीख लें तो बस और क्या ?
ReplyDeleteसुन्दर भाव
ReplyDeletedher sari khushiyan ham sab ko mile yahi to hamari chahat hai..........sundar bhav....
ReplyDeleteअनुभूतियों और भावनाओं का सुंदर समवेश इस खूबसूरत प्रस्तुति में
ReplyDeleteब्लॉग बुलेटिन की आज की बुलेटिन नायब सूबेदार बाना सिंह और २६ जून - ब्लॉग बुलेटिन मे आपकी पोस्ट को भी शामिल किया गया है ... सादर आभार !
ReplyDeleteबहुत बहुत आभार
Deleteआभार राजेन्द्र जी आप का
ReplyDeleteबहुत सुन्दर...
ReplyDeleteगुणात्मक भाव लिए बहुत सुन्दर रचना !
ReplyDeleteउम्मीदों की डोली !
अच्छी रचना
ReplyDeleteबढ़िया सुंदर रचना व प्रस्तुति , आ. धन्यवाद !
ReplyDeleteInformation and solutions in Hindi ( हिंदी में समस्त प्रकार की जानकारियाँ )
और चाँदनी सी हर दम
ReplyDeleteखिलखिलाती रही...सुंदर भाव
सुन्दर रचना।
ReplyDeleteजीवन खिलखिलाने को ही तो है ,सुन्दर रचना
ReplyDeleteसुंदर कोमल अभिव्यक्ति ! मंगलकामनाएं आपको !!
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ReplyDeleteमहेश्वरी जी ,यही तो मानव मन है कि उदासी व विसंगतियों से अलग एक शान्त मीठी सी दुनिया बसाना चाहता है । वह अँधेरों से परे चाँदनी में रमना चाहता है यह बात अलग है कि यह चाहत अक्सर पूरी नही होती । ऐसे ही भावों से सजी यह अच्छी कविता है ।
ReplyDeleteजीवन में सुख दुःख में समान रूप से खिलखिलाते रहना ही जीवन की सफलता है...बहुत ख़ूबसूरत अहसास और उनकी सुन्दर अभियक्ति...
ReplyDeleteसुंदर प्रस्तुति , आप की ये रचना चर्चामंच के लिए चुनी गई है , सोमवार दिनांक - १३ . ७ . २०१४ को आपकी रचना का लिंक चर्चामंच पर होगा , कृपया पधारें धन्यवाद !
ReplyDeleteबहुत सुन्दर प्रस्तुति।
ReplyDeleteसुन्दर रचना
ReplyDeleteबहुत सुंदर रचना.
ReplyDeleteनई पोस्ट : छठी इंद्री (सिक्स्थ सेंस) बनाम खतरे का संकेतक