उठो नव निर्माण करो
मौत का था तांडव ऐसा
आज भी…
ज़र्रा-ज़र्रा काँप रहा
मातम सी खामोशी है
सहमी-सहमी सी घाटी है
जो मर गए ,वो तर गए
जीवित जो निष्प्राण ,
ठगे हुए से खड़े हैं
माना कि दर्द बहुत है
पर कब तक शोक मनाना है
समेट लो दर्द को अपने,
और उठो….
भाग्य को फिर जगाना है
बुझ गए थे ,चूल्हे जो
उन्हें फिर जलाना है
यूँ रोने से क्या होगा ?
तुम जिन्दा हो
खुद पर विश्वास करो
नव सृजक बन ,प्राण भरो
उठो नव निर्माण करो
तिनका-तिनका चुन कर
फिर घर बसाना है
मरघट को जिन्दा कर,
धरती को सजाना है
तुम शिव हो,तुम ही शक्ति
खुद को पहचानो
जो खोया है,फिर पाओगे
थोडा धीर धरो
नव सृजक बन प्राण भरो
उठो, नव निर्माण करो
नव निर्माण करो…
**************
महेश्वरी कनेरी
महेश्वरी कनेरी
नव निर्माण हेतु, सतत प्रस्तुत
ReplyDeleteयलगार या आवाहन अच्छा लगा
ReplyDeleteनारात्रि की हार्दिक शुभकामनायें
बहुत सुन्दर प्रस्तुति ।
ReplyDeleteमाना कि दर्द बहुत है
ReplyDeleteपर कब तक शोक मनाना है
समेट लो दर्द को अपने,
और उठो….
भाग्य को फिर जगाना है...
भावपूर्ण सुंदर अभिव्यक्ति...!
नवरात्रि की शुभकामनाएँ ...!
RECENT POST : अपनी राम कहानी में.
बहुत ही खूबसूरत प्रस्तुति |
ReplyDeleteनवनिर्माण हेतु अनथक अविरत संलग्न |
बहुत ही प्रखर और ओजस्वी रचना, शुभकामनाएं.
ReplyDeleteरामराम.
नव निर्माण की ही तो जरुरत है
ReplyDeleteaashawadi rachnaa....
ReplyDeleteबहुत सुंदर
ReplyDeletebahut hi sundar rachna ...........navratri ki shubhkamanye.........
ReplyDeleteआज की विशेष बुलेटिन जेपी और ब्लॉग बुलेटिन में आपकी इस पोस्ट को भी शामिल किया गया है। सादर .... आभार।।
ReplyDeleteप्रेरक अभिव्यक्ति
ReplyDeleteबेहद आशावादी क्षण :
ReplyDeleteसमेट लो दर्द को अपने,
और उठो….
भाग्य को फिर जगाना है
बुझ गए थे ,चूल्हे जो
उन्हें फिर जलाना है
सुन्दर अति सुन्दर -
सृजन के क्षण कितने मीठे,
ध्वंश के कितने कड़वे स्वाद ,
सृजन है प्रेम सृजन विश्वास।
सुंदर रचना !
ReplyDeleteएक हृदय विदारक घटना के बाद के चिंतन कर जन संबोधन करती हुई बहुत अच्छी पंक्तियाँ लिखी हैं।
ReplyDelete[url]http://kadaachit.blogspot.in/[/url]
बहुत सुंदर भाव और प्रभावशाली अभिव्यक्ति !!
ReplyDeleteबहुत ही सुंदर, प्रेरणादायी भाव ....
ReplyDeleteनव निर्माण का संदेश हर वक्त की आवाज है...उड़ीसा को भी तूफान का सामना करना है...
ReplyDeleteसशक्त और प्रभावशाली रचना.....
ReplyDeleteबेहद प्रभावशाली रचना...
ReplyDeleteबहुत ही बेहतरीन....
:-)
तुम शिव हो,तुम ही शक्ति
ReplyDeleteखुद को पहचानो
जो खोया है,फिर पाओगे
थोडा धीर धरो
नव सृजक बन प्राण भरो
उठो, नव निर्माण करो
नव निर्माण करो…----
बेहद प्रभावशाली और विचारपूर्ण रचना
उत्कृष्ट प्रस्तुति
सादर
bahut sunder prastuti. vaicharik abhivyakti!
ReplyDeleteसही कहा आपने ...
ReplyDeleteआभार !
वाह बहुत ही सुन्दर |
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