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Monday, 1 April 2013

सतरंगी संसार

सतरंगी संसार


 आँखों में बसे हैं मेरे 

 सतरंगी एक संसार

खोल कर आँखेँ ,बिखरने दूँ कैसे,

यही तो है मेरे जीने का आधार

              महेश्वरी कनेरी

25 comments:

  1. छोटी मगर गहरे अर्थ लिए क्षणिका

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  2. सुन्दर.....
    सदा खिला रहे ये इन्द्रधनुष और खिलखिलाती रहें आप..

    सादर
    अनु

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  3. सपनों का आधार बना रहे !
    शुभकामनायें!

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  4. माहेश्वरी जी, बंद आँखों के पीछे ही छिपा है वह भी...

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  5. बहुत ही बढिया ..
    आभार

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  6. शुभकामनायें-

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  7. बहुत खुबसूरत अभिव्यक्ति

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  8. आओ स्वप्न करें हम गाढ़े..

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  9. आपका सतरंगी संसार हमेशा सजा-संवरा रहे... शुभकामनायें

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  10. सुंदर पंक्तियाँ.... शुभकामनायें

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  11. सच! आँखों में बसे सपने ही जीवन का आधार हैं .. वरना जीना निरर्थक सा है ..
    सादर
    मधुरेश

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  12. सपने ही जीवन का आधार होते हैं बहुत सुंदर पंक्तियाँ शुभकामनायें...

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  13. बहुत खूब आंटी !

    सादर

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  14. आपका सतरंगी संसार सदा खुशियों से भरा रहे...
    शुभकामनाएँ ....
    :-)

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  15. सुन्दर अभिव्यक्ति।

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  16. सतरंगी संसार सदा आबाद रहे...शुभकामनाएँ !!

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  17. कल दिनांक 04/04/2013 को आपकी यह पोस्ट http://nayi-purani-halchal.blogspot.in पर लिंक की जा रही हैं.आपकी प्रतिक्रिया का स्वागत है .
    धन्यवाद!

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  18. छोटी पर बहुत गहन भाव लिए हुए है



    मेरे ब्लॉग पर भी आइये
    पधारिये आजादी रो दीवानों: सागरमल गोपा (राजस्थानी कविता)

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  19. बिलकुल नहीं बिखरने देना है .... सुंदर भाव

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  20. Perfect rhyming and the essence of our existence:)

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