थकना नहीं ,ओ पंछी
मेरे
मंज़िल तेरी उस पार
है
पंख फैला ,उड़ता चल
हर सांस में विश्वास
भर
उड़ते हुए आकाश पर
कैसी थकन कैसी तपन
भूल तन के पीर को
श्रम से किस्मत बदल
बाधाओं से डरना नहीं
राह में रुकना नहीं
चाहे घनेरी रात हो
लक्ष पर रख कर नज़र
तू चल अपनी डगर
चिंता तज ,मत हो विकल
क्यों बहाता नीर रे
?
छल से बुना संसार है
निकल इस जंजाल से
चलना अभी दूर है
थकना नहीं ओ पंछी मेरे
मंज़िल तेरी उस पार
है
***************
महेश्वरी कनेरी
चिंता तज ,मत हो विकल
ReplyDeleteक्यों बहाता नीर रे ?
छल से बुना संसार है
निकल इस जंजाल से
चलना अभी दूर है
थकना नहीं ओ पंछी मेरे
मंज़िल तेरी उस पार है
मन में उत्साह जगाती प्रेरक कविता।
सादर
न रुकना यह बीच मझधार है ...
ReplyDeleteमंजिल तेरी उस पार है !
शुभकामनाएँ!
थकना नहीं ओ पंछी मेरे
ReplyDeleteमंज़िल तेरी उस पार है
...बहुत सुन्दर और प्रेरक रचना...
बहुत ही सुंदर रचना
ReplyDeleteएक नया उत्साह भरती रचना ...
ReplyDeleteबहुत सुन्दर, प्रेरणादायक है ,बधाई .
ReplyDeleteथकना नहीं ओ पंछी मेरे
ReplyDeleteमंज़िल तेरी उस पार है,,,,
सार्थक भाव पूर्ण पंक्तियाँ,,,,उत्कृष्ट प्रस्तुति,,,,
RECENT POST : समय की पुकार है,
"लक्ष पर रख कर नज़र
ReplyDeleteतू चल अपनी डगर
चिंता तज ,मत हो विकल
क्यों बहाता नीर रे ?"
प्रेरित करती सुंदर रचना !
उत्साह जगाती प्रेरक कविता।
ReplyDeleteबहुत सुन्दर.....
ReplyDeleteउत्साह बढ़ाती ,मंजिल का पता बताती रचना...
बहुत प्रेरणादायी...
सादर
अनु
आशा का संचार करती उत्साह जगाती सुन्दर रचना...आभार
ReplyDeleteसकारात्मक सोच लिए पंक्तियाँ......
ReplyDelete
ReplyDeleteउड़ते हुए आकाश पर
कैसी थकन कैसी तपन
चलना अभी दूर है
थकना नहीं ओ पंछी मेरे
मंज़िल तेरी उस पार है
दीदी ये तो आप
मुझे दिलासा दे गईं
आभार ! सादर !!
बहुत दूर चलना है, और स्वयं ही रास्ते बनाने हैं .. सुन्दर, प्रेरक रचना के लिए आभार।
ReplyDeleteसादर
मधुरेश
प्रेरक रचना...जीवन चलने का नाम...चलते रहो सुबहोशाम|
ReplyDeleteप्रेरक गीत ..
ReplyDeleteथकना नहीं चलते रहो
जीवन चलने का नाम है..
ReplyDeleteचलना सुबह-शाम है....
प्रेरणादायी अति सुन्दर रचना....
:-)
मन को आश्वस्त करती रचना ...सुन्दर माहेश्वरीजी !
ReplyDeleteचिंता तज ,मत हो विकल
ReplyDeleteक्यों बहाता नीर रे ?
छल से बुना संसार है
निकल इस जंजाल से
चलना अभी दूर है
थकना नहीं ओ पंछी मेरे
मंज़िल तेरी उस पार है
उत्साह जगाती प्रेरणा देती लाइन
gar thak gaye to us paar nahi jaa paoge .....galti hogi ak kshan ki par jivn bhar pachhtaoge ...bahut achhi pastuti ...
ReplyDeleteआत्म विश्वास को जगाती हुई सुन्दर प्रस्तुति अपने लक्ष्य पर नजर रखो बहुत सुन्दर सीख ।बहुत बहुत बधाई
ReplyDeleteथकान हुई तो आकाश दूर होगा,और आकाश को छूने का सामर्थ्य पंखों में है-इसे याद रखो .... मन पंखों को ताजगी मिलेगी
ReplyDeleteचलना अभी दूर है
ReplyDeleteथकना नहीं ओ पंछी मेरे
मंज़िल तेरी उस पार है
प्रेरणादायी रचना
इस समुद्र के पार बसा तेरा अपना घर।
ReplyDeleteजीवन के प्रति सकारात्मक ऊर्जा देती रचना ... बहुत सुंदर
ReplyDeleteजीवन-धारा के प्रति उत्साह देती कविता. बहुत सुंदर.
ReplyDeleteलक्ष पर रख कर नज़र
ReplyDeleteतू चल अपनी डगर
चिंता तज ,मत हो विकल
क्यों बहाता नीर रे ?
छल से बुना संसार है
bahut hi prabhavshali rachana ....abhar.
थकना नहीं ओ पंछी मेरे
ReplyDeleteमंज़िल तेरी उस पार है
वाह ... बहुत ही अनुपम भाव
छल से बुना संसार है
ReplyDeleteनिकल इस जंजाल से...
लाजवाब ! बहुत खूबसूरत रचना , आभार
पंछी का प्रतीकात्मक प्रयोग कविता की संप्रेषणीयता को सुगम बना रहा है।
ReplyDeleteप्रेरणादायी रचना।
आपका बयान हमेशा की तरह प्यारा!!
ReplyDeleteकल 11/11/2012 को आपकी यह बेहतरीन पोस्ट http://nayi-purani-halchal.blogspot.in पर लिंक की जा रही हैं.आपके सुझावों का स्वागत है .
ReplyDeleteधन्यवाद!
सौहाद्र का है पर्व दिवाली ,
ReplyDeleteमिलजुल के मनाये दिवाली ,
कोई घर रहे न रौशनी से खाली .
हैपी दिवाली हैपी दिवाली .
.
शुक्रिया आपका
वीरू भाई .
थकना नहीं पंछी मेरे ,मंजिल तेरी उस पार hai .
ReplyDeleteआस और जोश की सकारात्मक ऊर्जा की रचना ,जीवन को आगे ठेलती सी ,ऊर्ध्व गति देती सी .बधाई .