मेरी पहचान
कभी धीरे से, कभी चुपके से
अभी तूफान लिए ,कभी उफान लिए
कभी दर्द का अहसास लिए
कभी आस और विश्वास लिए
मेरी भावनाएँ ,अकसर आकर…
मेरे मन के साथ खेलने लगजाती हैं
तब मैं उन्हें शब्दों के जाल में लपेटे
पन्नों में यूँ ही बिखेर देती हूँ ।
इसे मेरे दिल का गुब्बार कहे
या फिर..
एक सुखद सा अहसास
जो भी हो ……..
वो मेरी कृति बन जाती है
अच्छी है या बुरी,
मेरे जीवन में गति बन आती है
ये कृति, मेरी आत्मा है, मेरे प्राण है
मेरी जिन्दगी है ,मेरी पहचान है..
बस , यही तो मेरी पहचान है…..
******
सटीक! भावनायें, अनुभूतियाँ, यही तो खिलती हैं काव्यकुसुम के रूप में! शब्द ही बनते हैं पहचान हमारी!
ReplyDeleteसच है, यही है हमारी पहचान।
ReplyDeleteये कृति, मेरी आत्मा है, मेरे प्राण है
ReplyDeleteमेरी जिन्दगी है ,मेरी पहचान है..
कृति में कवि की जान है, बस इतना ही जान
भाव आत्मा, श्वाँस शब्द,और है क्या पहचान.
वो मेरी कृति बन जाती है
ReplyDeleteअच्छी है या बुरी,
मेरे जीवन में गति बन आती है
आपका कहना सच है ...ये शब्द हमारे प्राण हैं, पहचान हैं.....
ये कृति, मेरी आत्मा है, मेरे प्राण है
ReplyDeleteमेरी जिन्दगी है ,मेरी पहचान है...
सच है ...
वो मेरी कृति बन जाती है
ReplyDeleteअच्छी है या बुरी,
मेरे जीवन में गति बन आती है
ये कृति, मेरी आत्मा है, मेरे प्राण है
bilkul sahi kah rahi hi aapki kavita.
वाह महेश्वरी जी...
ReplyDeleteभावनाओं को शब्दों के जाल में लपेट कर...पन्नों में बिखेरना..
बहुत सुन्दर भाव...
सादर नमन.
ये कृति, मेरी आत्मा है, मेरे प्राण है
ReplyDeleteमेरी जिन्दगी है ,मेरी पहचान है..
बस , यही तो मेरी पहचान है….
बहुत ही अच्छे भाव हैं आंटी....अपनी अलग पहचान बनी ही रहनी चाहिए।
सादर
ये कृति, मेरी आत्मा है, मेरे प्राण है
ReplyDeleteमेरी जिन्दगी है ,मेरी पहचान है..isi mein main hun , sach me
ये कृति, मेरी आत्मा है, मेरे प्राण है
ReplyDeleteमेरी जिन्दगी है ,मेरी पहचान है...………बिल्कुल सही कहा।
ये कृति, मेरी आत्मा है, मेरे प्राण है
ReplyDeleteमेरी जिन्दगी है ,मेरी पहचान है....बेहतरीन और अदभुत अभिवयक्ति....
भावनाएं तो दिल का अहसास होती हैं। और इन्हें अभिव्यक्ति का माध्यम मिलना ही चाहिए। और जो भावनाओं को अभिव्यक्ति दे उसे दिल से लिखी रचना कहते हैं और वह अच्छी ही होती है।
ReplyDeletekriti gatimaan bani rahe yahi meri kamna hai
ReplyDeleteये कृति, मेरी आत्मा है, मेरे प्राण है
ReplyDeleteमेरी जिन्दगी है ,मेरी पहचान है..
....सच्चे अहसासों और भावों से निसृत कृति निश्चय ही अच्छी होगी और उस पहचान पर गर्व स्वाभाविक है...बहुत सुंदर अभिव्यक्ति..
काव्य रचना अक्षर ब्रह्म है. यह अपने तरीके से रचना करता है. सुंदर कविता.
ReplyDeleteशब्दों में भावनाओं को समेटना ही हमारी पहचान है ..बहुत अच्छी प्रस्तुति
ReplyDeletebas yahin to meri pahchaan hai..bhut khub :)
ReplyDeletemere blog par aapka swagat hai :)
ये कृति, मेरी आत्मा है, मेरे प्राण है
ReplyDeleteमेरी जिन्दगी है ,मेरी पहचान है..
वाह ...बहुत ही अच्छी प्रस्तुति ।
behad karib dil ke aesi rachna hae aapki ,shbdon ko bhvnaon men bandh lena ye kala hae aapki
ReplyDeleteबस , यही तो मेरी पहचान है…..
ReplyDeleteसचमुच आपकी कृति ही आपकी पहचान है
ये कृति, मेरी आत्मा है, मेरे प्राण है
ReplyDeleteमेरी जिन्दगी है ,मेरी पहचान है..
बस , यही तो मेरी पहचान है…..
vah.... sundar ....badhai.
ख़ूबसूरत अभिव्यक्ति के साथ भावपूर्ण प्रस्तुती!
ReplyDeleteमेरे नये पोस्ट पर आपका स्वागत है-
http://ek-jhalak-urmi-ki-kavitayen.blogspot.com/
http://seawave-babli.blogspot.com/
कभी दर्द का अहसास लिए
ReplyDeleteकभी आस और विश्वास लिए
मेरी भावनाएँ ,अकसर आकर…
मेरे मन के साथ खेलने लगजाती हैं
Lovely ...
.
कोई भी कृति इश्वर का स्वरुप है... सृजन की यात्रा है... और यही हमारी पहचान भी...!
ReplyDeleteफिर अंतिम सत्य भी तो यही है कि आत्मा परमात्मा से भिन्न नहीं...!
सुन्दर रचना!
सुंदर प्रस्तुती..बधाई....
ReplyDeleteमेरी नई पोस्ट
सब कुछ जनता जान गई ,इनके कर्म उजागर है
चुल्लु भर जनता के हिस्से,इनके हिस्से सागर है,
छल का सूरज डूब रहा है, नई रौशनी आयेगी
अंधियारे बाटें थे तुमने, जनता सबक सिखायेगी,
आपका स्वागत है
________________
वाह क्या बात है खूबसूरत रचना , बहुत दिनों बाद पढने को मिली
ReplyDeleteबहुत ही सटीक भाव..बहुत सुन्दर प्रस्तुति
ReplyDeleteशुक्रिया ..इतना उम्दा लिखने के लिए !!
सुन्दर भाव चित्र कोमल भावोंकी बरात का आलेख .बधाई .
ReplyDeleteये कृति, मेरी आत्मा है, मेरे प्राण है
ReplyDeleteमेरी जिन्दगी है ,मेरी पहचान है...
बहुत सुन्दर प्रस्तुति...
मेरे ब्लौग पर आने के लिए हार्दिक आभार|
इसे मेरे दिल का गुब्बार कहे
ReplyDeleteया फिर..
एक सुखद सा अहसास
जो भी हो ……..
वो मेरी कृति बन जाती है
अच्छी है या बुरी, ...
.....
मेरे साथ भी यही है, मेरे ख्याल से हर एक के साथ यही है, सभी यहाँ अपनी भावनाओं को ही तो उकेरते है.
ये कृति, मेरी आत्मा है, मेरे प्राण है
ReplyDeleteमेरी जिन्दगी है ,मेरी पहचान है..
बस , यही तो मेरी पहचान है…..
sach kaha hamari kriti hamari pehchan hin to hai. sundar rachna, badhai.
ये कृति, मेरी आत्मा है, मेरे प्राण है
ReplyDeleteमेरी जिन्दगी है ,मेरी पहचान है..
बस , यही तो मेरी पहचान है…..
क्या बात है बहुत सुंदर सत्य........
आत्मस्वीकृति का प्यारा सा एहसास ......
ReplyDeleteAmrita Tanmay has left a new comment on my post "मेरी पहचान":
ReplyDeleteपहचान यही है.. बहुत बढ़िया..
क्या कहने, बहुत सुंदर रचना
ReplyDeleteaapka shukhad ahsaas sbhado me achchha laga:)
ReplyDeletekhubsurat rachna
ReplyDeleteकविताएं अहसासों का दर्पण हैं ...सुंदर अभिव्यक्ति । शुभकामनाएँ
ReplyDeleteThis comment has been removed by the author.
ReplyDeletebahut achchi lagi.. :)
ReplyDeletebaht sundar natika
ReplyDeleteतब मैं उन्हें शब्दों के जाल में लपेटे
ReplyDeleteपन्नों में यूँ ही बिखेर देती हूँ ।
jivananad ki bhavnaye ..aanubhavi kalam ka parichay
दिल से निकली बात ही अच्छी कविता होती है
ReplyDeleteयहाँ क्लिक करके आज ज़रूर डालें एक नज़र
ReplyDeleteयहाँ आ कर अच्छा लगा
ReplyDelete