tag:blogger.com,1999:blog-3970985137273829385.post544136796803741680..comments2024-03-10T14:01:45.408+05:30Comments on अभिव्यंजना: मैं चलती रही, बस चलती रहीMaheshwari kanerihttp://www.blogger.com/profile/07497968987033633340noreply@blogger.comBlogger44125tag:blogger.com,1999:blog-3970985137273829385.post-46478750679204172762011-12-15T12:08:25.949+05:302011-12-15T12:08:25.949+05:30कब तक और चलना है ? कौन जाने
शायद चलना ही जीवन है
इ...कब तक और चलना है ? कौन जाने<br />शायद चलना ही जीवन है<br />इसीलिए…<br /> मैं चलती रही, बस चलती रही ……..<br />.....<br />सुंदर चिंतन माहेश्वरी दी,...<br />ये अनंत की यात्रा है अनंत में समाहित होने तक जारी रहेगी दी .. बस चलते ही रहना है हमको ...और करना भी क्या क्या यत्र का धर्म ही है बस आगे बढते जाना !आनंदhttps://www.blogger.com/profile/06563691497895539693noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3970985137273829385.post-43605046172689703452011-12-09T11:46:39.296+05:302011-12-09T11:46:39.296+05:30कई बार फूलों की चाह में
काँटों को भी गले लगाया मै...कई बार फूलों की चाह में <br />काँटों को भी गले लगाया मैंने<br />और ,कई बार तो<br /> फूलों ने ही उलझाया मुझको<br />लेकिन..<br />हर बार दो अदृश्य हाथों ने संभाला मुझको <br />मैं बढ़ती रही,चलती रही ।<br /><br />वास्तव में कोई है जो संभाले हुए है हमें...<br />सुन्दर....!!***Punam***https://www.blogger.com/profile/01924785129940767667noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3970985137273829385.post-57468484533613997662011-12-01T09:19:53.059+05:302011-12-01T09:19:53.059+05:30पीछे मुड़ कर देखने का वक्त कहाँ..
वक्त बदलता गया
...पीछे मुड़ कर देखने का वक्त कहाँ..<br />वक्त बदलता गया<br />मान्यताए बदलती रही<br />अपनी ही अनुभव की गठरी संभाले<br />मैं बढ़ती रही, चलती रही...<br />बहुत सुन्दर और सटीक पंक्तियाँ! जीवन का यही दस्तूर है! चाहे कितनी भी बाधा और विपत्ति क्यूँ न आए पर हमें हमेशा आगे बढ़ते रहना चाहिए! भावपूर्ण और प्रेरक रचना!Urmihttps://www.blogger.com/profile/11444733179920713322noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3970985137273829385.post-26825541126016216662011-11-30T20:37:25.160+05:302011-11-30T20:37:25.160+05:30प्रेरक बढ़िया पोस्ट,...
नए पोस्ट"प्रतिस्पर्धा&...प्रेरक बढ़िया पोस्ट,...<br />नए पोस्ट"प्रतिस्पर्धा"में इंतजार है,...धीरेन्द्र सिंह भदौरिया https://www.blogger.com/profile/09047336871751054497noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3970985137273829385.post-27390891196836005302011-11-30T15:41:22.200+05:302011-11-30T15:41:22.200+05:30प्रेरक हैं .
प्रेरक रचना समझाती -चलना माने आगे ...प्रेरक हैं .<br />प्रेरक रचना समझाती -चलना माने आगे बढना ,चलना जीवन ,रुकना मृत्यु ,चलना- याने जड़ता का नाश यानी गत्यात्मकता .गति और सारी सृष्टि सारी कायनात में इस गति का ही तो शाशन है ,परमाणु में तारों के beech के antraal में ,grahon का nartan और paribhraman ,nihaarikaaon भी ...shaashvat है anthak है ....virendra sharmahttps://www.blogger.com/profile/02192395730821008281noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3970985137273829385.post-21650393551386005472011-11-29T18:07:16.952+05:302011-11-29T18:07:16.952+05:30हर बार दो अदृश्य हाथों ने संभाला मुझको
मैं बढ़ती र...हर बार दो अदृश्य हाथों ने संभाला मुझको<br />मैं बढ़ती रही,चलती रही ।<br />...........बहुत सुंदर कविता !निवेदिता श्रीवास्तवhttps://www.blogger.com/profile/17624652603897289696noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3970985137273829385.post-49363988014299131872011-11-29T13:55:44.649+05:302011-11-29T13:55:44.649+05:30कब तक और चलना है ? कौन जाने
शायद चलना ही जीवन है
इ...कब तक और चलना है ? कौन जाने<br />शायद चलना ही जीवन है<br />इसीलिए…<br /> मैं चलती रही, बस चलती रही ……..<br />सुन्दर भाव रचना मानसिक जगत को साकार करती .सच यह भी है जो चला गया वो चला गया उसे भूल जा वो चला गया .virendra sharmahttps://www.blogger.com/profile/02192395730821008281noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3970985137273829385.post-26366394233620448812011-11-29T07:06:48.975+05:302011-11-29T07:06:48.975+05:30सुन्दर प्रस्तुति |मेरे नए पोस्ट पर आपका स्वगत है ।...सुन्दर प्रस्तुति |मेरे नए पोस्ट पर आपका स्वगत है । कृपया निमंत्रण स्वीकार करें । धन्यवाद ।प्रेम सरोवरhttps://www.blogger.com/profile/17150324912108117630noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3970985137273829385.post-34165824915935306032011-11-28T19:41:58.164+05:302011-11-28T19:41:58.164+05:30कब तक और चलना है ? कौन जाने
शायद चलना ही जीवन है
इ...कब तक और चलना है ? कौन जाने<br />शायद चलना ही जीवन है<br />इसीलिए…<br /> मैं चलती रही, बस चलती रही ……..<br />bahut umda .....दर्शन कौर धनोयhttps://www.blogger.com/profile/06042751859429906396noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3970985137273829385.post-22217745085571076262011-11-28T15:17:24.223+05:302011-11-28T15:17:24.223+05:30कभी मोम बन पिघलती रही
कभी बाती बन जलती रही
मन में ...कभी मोम बन पिघलती रही<br />कभी बाती बन जलती रही<br />मन में अनंत अहसास संजोए<br />मैं बढ़ती रही, चलती रही । <br /><br /><br />बहुत ही खूबसूरत रचना, तारीफ़ के लिए क्या शब्द चुनु समझ में नहीं आ रहा !कुमार संतोषhttps://www.blogger.com/profile/15801341922407900125noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3970985137273829385.post-40806109985075732011-11-28T07:37:57.210+05:302011-11-28T07:37:57.210+05:30कई बार फूलों की चाह में
काँटों को भी गले लगाया मैं...कई बार फूलों की चाह में<br />काँटों को भी गले लगाया मैंने<br />और ,कई बार तो<br /> फूलों ने ही उलझाया मुझको<br />लेकिन..<br />हर बार दो अदृश्य हाथों ने संभाला मुझको<br />मैं बढ़ती रही,चलती रही ।<br /><br />हिम्मत करने वालों की हार नहीं होतीVandana Ramasinghhttps://www.blogger.com/profile/01400483506434772550noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3970985137273829385.post-1642533169364960882011-11-28T05:16:07.921+05:302011-11-28T05:16:07.921+05:30चलना ही जिंदगी है...
जीवन के यथार्थ की सुंदर अभिव्...चलना ही जिंदगी है...<br />जीवन के यथार्थ की सुंदर अभिव्यक्ति।महेन्द्र वर्माhttps://www.blogger.com/profile/03223817246093814433noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3970985137273829385.post-25952738914388265242011-11-28T03:45:31.487+05:302011-11-28T03:45:31.487+05:30चलते जाने का नाम ही जिन्दगी है....बेहतरीन रचना..चलते जाने का नाम ही जिन्दगी है....बेहतरीन रचना..Udan Tashtarihttps://www.blogger.com/profile/06057252073193171933noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3970985137273829385.post-88723636313712156932011-11-27T23:51:59.218+05:302011-11-27T23:51:59.218+05:30कब तक और चलना है ? कौन जाने
शायद चलना ही जीवन है
इ...कब तक और चलना है ? कौन जाने<br />शायद चलना ही जीवन है<br />इसीलिए…<br /> मैं चलती रही, बस चलती रही ……..<br /><br />आपकी पोस्ट बहुत ही सुन्दर और प्रेरणादायक है.<br />अनुपम प्रस्तुति के लिए आभार.<br />मेरी नई पोस्ट पर आपका स्वागत है.Rakesh Kumarhttps://www.blogger.com/profile/03472849635889430725noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3970985137273829385.post-69283155497105049522011-11-27T22:17:16.606+05:302011-11-27T22:17:16.606+05:30जब चलने और चलने का मन बना लें, तो हर बाधा से पार प...जब चलने और चलने का मन बना लें, तो हर बाधा से पार पाने का हौसला बन जाता है।मनोज कुमारhttps://www.blogger.com/profile/08566976083330111264noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3970985137273829385.post-49404535831982253462011-11-27T21:55:40.729+05:302011-11-27T21:55:40.729+05:30कई बार फूलों की चाह में
काँटों को भी गले लगाया मै...कई बार फूलों की चाह में <br />काँटों को भी गले लगाया मैंने<br />और ,कई बार तो<br /> फूलों ने ही उलझाया मुझको.... !<br />उलझनें सुलझाने में बीत गई जिन्दगी.... !!<br />आपके शब्द हारे को जीता दे ,<br />उसकी बना दे जिन्दगी...विभा रानी श्रीवास्तवhttps://www.blogger.com/profile/01333560127111489111noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3970985137273829385.post-57128795783880184052011-11-27T20:51:15.764+05:302011-11-27T20:51:15.764+05:30कभी मोम बन पिघलती रही
कभी बाती बन जलती रही
मन में ...कभी मोम बन पिघलती रही<br />कभी बाती बन जलती रही<br />मन में अनंत अहसास संजोए<br />मैं बढ़ती रही, चलती रही । भावपूर्ण रचना.Dr.NISHA MAHARANAhttps://www.blogger.com/profile/16006676794344187761noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3970985137273829385.post-91303206227761136952011-11-27T19:15:07.407+05:302011-11-27T19:15:07.407+05:30हर बार दो अदृश्य हाथों ने संभाला मुझको
मैं बढ़ती र...हर बार दो अदृश्य हाथों ने संभाला मुझको<br />मैं बढ़ती रही,चलती रही ।<br />बहुत सुंदर कविता है ....<br />देर से ही सही पर जन्म दिन की बधाई एवं शुभकामनाएं मेरी तरफ से भी ...!!Anupama Tripathihttps://www.blogger.com/profile/06478292826729436760noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3970985137273829385.post-63081315585770884402011-11-27T11:46:30.362+05:302011-11-27T11:46:30.362+05:30चलते रहना ही जीवन है बहाव के साथ ही बहना पडता है……...चलते रहना ही जीवन है बहाव के साथ ही बहना पडता है…………आपको जन्मदिन की बहुत बहुत शुभकामनाएँvandana guptahttps://www.blogger.com/profile/00019337362157598975noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3970985137273829385.post-80387327124785338212011-11-27T11:31:15.564+05:302011-11-27T11:31:15.564+05:30बहुत ही सुन्दर भावपूर्ण रचना है...
प्रत्येक पंक्ति...बहुत ही सुन्दर भावपूर्ण रचना है...<br />प्रत्येक पंक्ति एक गहरे अहसास लिए उभरती है...मेरा मन पंछी साhttps://www.blogger.com/profile/10176279210326491085noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3970985137273829385.post-85122127158221682892011-11-27T11:11:19.953+05:302011-11-27T11:11:19.953+05:30जीवन चलने का नाम चलते रही सुबह शाम ...कि रास्ता थ...जीवन चलने का नाम चलते रही सुबह शाम ...कि रास्ता थक जाएगा मित्रा .......बेहद सुन्दर भावपूर्ण रचना....Anonymoushttps://www.blogger.com/profile/16174745947449762169noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3970985137273829385.post-70900660857375118412011-11-27T06:35:06.463+05:302011-11-27T06:35:06.463+05:30अदृष्य हाथों पर भरोसा है तो चलते रहने में ही जीवन ...अदृष्य हाथों पर भरोसा है तो चलते रहने में ही जीवन है. सुंदर कविता.Bharat Bhushanhttps://www.blogger.com/profile/10407764714563263985noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3970985137273829385.post-77855968532940599292011-11-27T05:53:40.042+05:302011-11-27T05:53:40.042+05:30जन्मदिन की शुभकामनाएँ!जन्मदिन की शुभकामनाएँ!अनुपमा पाठकhttps://www.blogger.com/profile/09963916203008376590noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3970985137273829385.post-69363883951552699012011-11-26T23:38:05.028+05:302011-11-26T23:38:05.028+05:30जीवन का कटु सत्य समेटे अद्भुत रचना.जीवन का कटु सत्य समेटे अद्भुत रचना.संतोष पाण्डेयhttps://www.blogger.com/profile/06184746764857353641noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3970985137273829385.post-54189766985153298022011-11-26T20:02:48.834+05:302011-11-26T20:02:48.834+05:30chalna yahi to jindgi hai,
har mod par de jaati
ku...chalna yahi to jindgi hai,<br />har mod par de jaati<br />kuch khushiyan to kuch gamDr. sandhya tiwarihttps://www.blogger.com/profile/15507922940991842783noreply@blogger.com